ब्रिटिश PM की स्पीच का अनुवाद करने में अटकीं ट्रांसलेटर:मोदी बोले- कोई बात नहीं, बीच-बीच में हिंदी के साथ अंग्रेजी भी चलेगी.

PM नरेंद्र मोदी और ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर की मौजूदगी में गुरुवार को दोनों देशों के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) हो गया। इसे लेकर भारत-ब्रिटेन के बीच 3 साल से बातचीत चल रही थी।
समझौते के बाद नेताओं ने एक साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान एक वाक्या हुआ। जब दोनों नेता प्रेस को संबोधित कर रहे थे, तब ट्रांसलेटर स्टार्मर की बातों को हिंदी में ट्रांसलेट करते वक्त अटक गईं।
उनकी परेशानी देखकर PM मोदी ने तुरंत कहा- कोई बात नहीं… बीच-बीच में अंग्रेजी के शब्द का इस्तेमाल कर सकते हैं। चिंता मत कीजिए।
इसके बाद ट्रांसलेटर ने राहत की सांस लेते हुए उन्हें धन्यवाद दिया और माफी मांगी। इस पर दोनों नेता मुस्कुराए। PM मोदी ने कहा, "हां… कोई दिक्कत नहीं," जबकि स्टार्मर ने हंसते हुए कहा- मुझे लगता है हम एक-दूसरे को अच्छी तरह समझते हैं।
मोदी ने ब्रिटिश PM को भारत आने का न्योता दिया
मोदी ने ब्रिटिश PM से कहा कि UK में रहने वाले भारतीय मूल के लोग हमारे संबंधों में एक लिविंग ब्रिज का काम करते हैं। मोदी ने स्टार्मर को भारत आने का न्योता दिया।
इसके साथ ही उन्होंने ब्रिटिश PM से कहा कि जो लोग लोकतंत्र को कमजोर करने के लिए लोकतांत्रिक आजादी का गलत इस्तेमाल करते हैं, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
मोदी ने कहा कि आजादी के नाम पर लोकतंत्र को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करने वालों को जिम्मेदार ठहराना जरूरी है।
भारत के 99% निर्यात को टैरिफ में राहत मिलेगी
इस समझौते से भारत से ब्रिटेन को होने वाले 99% निर्यात पर टैरिफ यानी आयात शुल्क में राहत मिलेगी। इसका मतलब है कि भारत से जो सामान ब्रिटेन भेजा जाएगा, उस पर लगने वाला टैक्स या तो बहुत कम हो जाएगा या पूरी तरह खत्म कर दिया जाएगा।
वहीं, ब्रिटेन की कंपनियों के लिए भी यह समझौता फायदेमंद होगा। अब उन्हें भारत में व्हिस्की, कार और दूसरे उत्पाद बेचने में पहले से ज्यादा आसानी होगी।
भारत इन प्रोडक्ट्स पर टैरिफ को घटाकर 15% से 3% करेगा। समझौते से दोनों देशों के बीच व्यापार हर साल करीब 3 लाख करोड़ रुपए तक बढ़ सकता है।
5 साल में व्यापार दोगुना करना मकसद
FTA का मतलब है फ्री ट्रेड एग्रीमेंट, जिसे हिंदी में ‘मुक्त व्यापार समझौता’ कहा जाता है। यह ऐसा समझौता होता है जो दो या अधिक देशों के बीच होता है, ताकि वे आपस में सामान और सेवाओं का व्यापार आसानी से कर सकें और उस पर कम टैक्स (ड्यूटी) लगाएं या बिल्कुल टैक्स न लगाएं।
इससे दोनों देशों की कंपनियों को फायदा होता है, क्योंकि उनका सामान सस्ता हो जाता है जिससे लोग ज्यादा खरीदारी करते हैं।