ट्रंप का सेल्फ गोल… ये बात कहकर छवि की खराब, भारत के बाद और भी हो जाएंगे खड़े

नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ‘गैर-जिम्मेदाराना बातें’ और अमेरिकी कांग्रेस का दबाव दुनिया में अमेरिका की छवि को नुकसान पहुंचा रहा है। पूर्व विदेश सचिव कंवल सिब्बल ने ये बात कही है। उनकी प्रतिक्रिया ट्रंप के उस बयान के बाद आई है जिसमें उन्होंने कहा था कि अमेरिका उन देशों पर भारी जुर्माना लगाएगा जो रूस के साथ व्यापार जारी रखेंगे। सिब्बल ने सवाल उठाया कि यूरोपीय संघ (ईयू) या जापान का क्या होगा? हंगरी और जर्मनी को छूट क्यों दी गई? चीन के साथ ट्रंप ने एक समझौता किया था, लेकिन चीन ने पलटवार किया। अमेरिका खुद रूस के साथ व्यापार कर रहा है। सिब्बल के अनुसार, ट्रंप की ऐसी बातें और कांग्रेस का दबाव अमेरिका की वैश्विक स्थिति को खराब कर रहा है। दूसरों का विरोध होना तय है।
ट्रंप ने कहा है कि जो देश रूस के साथ आर्थिक संबंध बनाए रखेंगे, उन्हें नए कानून के तहत ‘बहुत गंभीर’ दंड का सामना करना पड़ेगा। रिपब्लिकन सांसद यह नया कानून तैयार कर रहे हैं। यह हाल ही में भारत के खिलाफ की गई आर्थिक कार्रवाई के बाद आया है। अमेरिकी प्रशासन ने भारत की ओर से रूसी तेल की लगातार खरीद के जवाब में भारतीय आयात पर टैरिफ को दोगुना करके 50% कर दिया था।
ट्रंप ने दी सीधी धौंस
अमेरिकी ट्रेजरी ने बढ़े हुए टैरिफ और सेकेंडरी सैंक्शंस के औचित्य के रूप में ‘शांति प्रक्रिया के प्रति रूस की गंभीर प्रतिबद्धता की कमी’ का हवाला दिया। पाम बीच इंटरनेशनल एयरपोर्ट से ट्रंप ने नए कानून के प्रति अपना समर्थन जताया। उन्होंने कहा, ‘जैसा कि आप जानते हैं, मैंने इसका सुझाव दिया था। इसलिए कोई भी देश जो रूस के साथ व्यापार करेगा, उसे बहुत गंभीर रूप से प्रतिबंधित किया जाएगा।’ ट्रंप ने आगे कहा कि ईरान को भी टारगेट देशों की सूची में शामिल किया जा सकता है।
छवि को पहुंच रहा नुकसान
सिब्बल ने यह भी कहा कि ट्रंप की ‘गैर-जिम्मेदाराना बातें’ और अमेरिकी कांग्रेस का दबाव अमेरिका की वैश्विक स्थिति को नुकसान पहुंचा रहा है। उन्होंने सवाल उठाया कि यूरोपीय संघ (ईयू) या जापान जैसे देशों का क्या होगा, जिन्हें छूट दी गई है। उन्होंने चीन का भी जिक्र किया, जिसके साथ ट्रंप ने एक समझौता किया था। लेकिन, चीन ने पलटवार किया। सिब्बल के अनुसार, अमेरिका खुद रूस के साथ व्यापार कर रहा है। ऐसे में दूसरों का विरोध होना स्वाभाविक है।ट्रंप का यह बयान कि जो देश रूस के साथ व्यापार जारी रखेंगे, उन्हें नए कानून के तहत गंभीर दंड का सामना करना पड़ेगा, यह दर्शाता है कि अमेरिका अपनी आर्थिक नीतियों को लेकर सख्त रुख अपना रहा है। यह कदम भारत जैसे देशों के लिए चिंता का विषय है, जो रूस से तेल खरीद रहे हैं। अमेरिकी ट्रेजरी का यह कहना कि रूस शांति प्रक्रिया के प्रति गंभीर नहीं है, प्रतिबंधों को सही ठहराने का एक प्रयास है।





