केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने राज्यों के साथ हाईलेवल मीटिंग की:कफ सिरप से मौतों का मामला, 6 राज्यों की 19 दवा निर्माण इकाइयों की पड़ताल शुरू

छिंदवाड़ा के परासिया इलाके में कफ सिरप से हो रही बच्चों की मौतों के बाद केंद्र सरकार ने रविवार को सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के अफसरों के साथ हाई लेवल मीटिंग की।
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव की अध्यक्षता में हुई बैठक में कफ सिरप की गुणवत्ता को लेकर चिंता जताई। इस उच्च स्तरीय बैठक में दवाओं की गुणवत्ता के मापदंडों का पालन करने की समीक्षा की गई। साथ ही बच्चों के इलाज में कफ सिरप के तर्क संगत उपयोग को बढ़ावा देने पर चर्चा हुई।
जेपी नड्डा ने की समीक्षा राज्यों के साथ हाई लेवल मीटिंग के पहले केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने भी कफ सिरप के कारण हुई मौतों के मामलों की जानकारी ली। नड्डा ने अफसरों को निर्देश दिए कि इस मामले में जरूरी कार्रवाई करने के लिए राज्यों के साथ चर्चा की जाए।
6 राज्यों की 19 दवा बनाने वाली यूनिट की पड़ताल बैठक में यह भी बताया गया कि सिस्टम की कमियों की पहचान करने और गुणवत्ता तंत्र को मजबूत करने के लिए 6 राज्यों की 19 दवा बनाने वाली इकाइयों में रिस्क बेस्ड इंस्पेक्शन (आरबीआई) शुरू किए गए हैं।
राज्यों को यह भी सलाह दी गई कि वे निगरानी बढ़ाएं, सभी स्वास्थ्य सुविधाओं (सरकारी और निजी दोनों) द्वारा समय पर रिपोर्टिंग करें। आईडीएसपी-आईएचआईपी के सामुदायिक रिपोर्टिंग टूल का व्यापक प्रसार करें और प्रकोप प्रतिक्रिया और असामान्य स्वास्थ्य घटनाओं के संबंध में जल्दी रिपोर्टिंग और संयुक्त कार्रवाई के लिए अंतर-राज्यीय समन्वय को मजबूत करें।
ये अफसर बैठक में मौजूद रहे बैठक में रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के फार्मास्यूटिकल्स विभाग के सचिव अमित अग्रवाल, स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग के सचिव और आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. राजीव बहल, स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक (डीजीएचएस) डॉ. सुनीता शर्मा; भारतीय औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) डॉ. राजीव रघुवंशी, राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) के निदेशक डॉ. रंजन दास, सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के अपर मुख्य सचिव(हेल्थ), प्रमुख सचिव, सचिव (स्वास्थ्य), औषधि नियंत्रक, स्वास्थ्य सेवा निदेशक, मिशन संचालक (एनएचएम) और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए।
तीन प्रमुख मुद्दों पर हुई बैठक में चर्चा
- दवा बनाने वाली इकाईयों में क्वालिटी पैरामीटर से संबंधित शेड्यूल M और अन्य जीएसआर प्रावधानों का पालन किया जाए।
- बच्चों में कफ सिरप का तर्कसंगत उपयोग हो। जिसमें दवाओं के गलत कॉम्बिनेशन और अनुपयुक्त फॉर्मुलेशन से बचा जाए।
- ऐसे फार्मूलेशन की बिक्री और दुरुपयोग को रोकने के लिए रिटेल फार्मेसियों पर नियमों को सख्ती से लागू किया जाए।
नागपुर की सर्विलांस यूनिट ने दी थी मौतों की जानकारी यह बैठक मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में बच्चों की मौतों की हालिया रिपोर्टों के बाद हुई है, जो दूषित कफ सिरप से जुड़ी हैं।
प्रधानमंत्री-आयुष्मान भारत हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर मिशन (पीएम-एबीएचआईएम) के तहत नागपुर में स्थापित की गई मेट्रोपॉलिटन सर्विलांस यूनिट (एमएसयू) ने मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के परासिया ब्लॉक से आईडीएसपी, एनसीडीसी को कई मामलों और उनसे संबंधित मौतों की सूचना दी थी।
एक्सपर्ट्स की टीमें जांच में जुटीं छिंदवाड़ा की स्थिति का संज्ञान लेते हुए, राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी), राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआईवी) और केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) के महामारी विज्ञानियों, सूक्ष्म जीव विज्ञानियों, कीट विज्ञानियों और औषधि निरीक्षकों सहित विशेषज्ञों की एक केंद्रीय टीम ने छिंदवाड़ा और नागपुर का दौरा किया और मध्य प्रदेश राज्य प्राधिकरणों के साथ समन्वय में रिपोर्ट किए गए मामलों और मौतों का विस्तृत विश्लेषण किया।
अलग-अलग नैदानिक, पर्यावरणीय, कीट विज्ञान और औषधि नमूने इकट्ठा किए गए और प्रयोगशाला परीक्षण के लिए एनआईवी पुणे, केंद्रीय औषधि प्रयोगशाला (सीडीएल) मुंबई और नीरी नागपुर भेजे गए।
10 दवाओं के सैंपल की जांच में 9 की रिपोर्ट ठीक मिली शुरुआती जांच में लेप्टोस्पायरोसिस के एक पॉजिटिव मामले को छोड़कर, किसी भी सामान्य संक्रामक बीमारी की संभावना को खारिज कर दिया गया है। बच्चों द्वारा सेवन की गई 19 दवाओं के सैंपल निजी चिकित्सकों और आस-पास के मेडिकल स्टोर्स से इकट्ठे किए गए थे।
अब तक के रासायनिक विश्लेषण से पता चलता है कि अब तक जांच किए गए 10 सैंपल में से 9 गुणवत्ता मानकों पर खरे उतरे हैं। हालांकि, उनमें से एक, कफ सिरप ‘कोल्ड्रिफ’ में अनुमत सीमा से अधिक डीईजी पाया गया है।
इसके बाद, तमिलनाडु के कांचीपुरम स्थित इस इकाई पर तमिलनाडु-एफडीए द्वारा नियामक कार्रवाई की गई है। निरीक्षण के निष्कर्षों के आधार पर सीडीएससीओ द्वारा विनिर्माण लाइसेंस रद्द करने की सिफारिश की गई है। आपराधिक कार्यवाही भी शुरू की गई है।
शेड्यूल M का कड़ाई से पालन हो केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने सभी दवा निर्माताओं द्वारा संशोधित अनुसूची एम का कड़ाई से पालन करने पर ज़ोर दिया। राज्यों को यह भी सलाह दी गई कि वे कफ सिरप का, खासकर बच्चों में, तर्कसंगत उपयोग सुनिश्चित करें, क्योंकि ज्यादातर खांसी अपने आप ठीक हो जाती है और इसके लिए औषधीय उपचार की आवश्यकता नहीं होती।
बाल चिकित्सा आबादी में कफ सिरप के तर्कसंगत उपयोग पर डीजीएचएस द्वारा जारी परामर्श पर भी चर्चा की गई। आउटब्रेक रिस्पांस टीम काम में जुटी
डॉ. सुनीता शर्मा ने कहा कि बच्चों में खांसी की दवाओं का फायदा सीमित और जोखिम ज्यादा होता है। अत: सभी दवाओं की जांच और उचित कॉम्बिनेशन का ध्यान रखा जाना चाहिए। जल्द ही डॉक्टरों, फार्मेसिस्टों और अभिभावकों के लिए दिशानिर्देश जारी किए जाएंगे।
डॉ. राजीव बहल ने कहा कि बच्चों को किसी भी दुष्प्रभाव से बचाने के लिए कफ सिरप या दवाओं का कोई भी कॉम्बिनेशन नहीं दिया जाना चाहिए। डॉ. बहल ने यह भी बताया कि नेशनल जॉइंट आउटब्रेक रेस्पांस टीम पहले से ही काम कर रही है, जो एनसीडीसी, आईसीएमआर आदि जैसे विभिन्न केंद्रीय संगठनों के बीच प्रभावी समन्वय सुनिश्चित करता है, जिससे जरूरतमंद राज्यों की सहायता की जा सकती है।
उन्होंने राज्यों को किसी भी आपदा से निपटने के लिए अपनी एजेंसियों के बीच समन्वय को मजबूत करने की भी सलाह दी।