किसानों के लिए ‘दोस्त’ ट्रंप से क्यों भिड़ गए मोदी? इन आंकड़ों को देखकर समझ में आ जाएगा पूरा खेल

नई दिल्ली: भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड डील नहीं हो पाई। अमेरिका ने भारत पर 50% टैरिफ लगाया है। इसमें रूस से कच्चा तेल लेने पर 25% का अतिरिक्त टैरिफ शामिल है। अमेरिका चाहता था कि भारत अपना बाजार अमेरिका के कृषि उत्पादों के लिए खोले। लेकिन भारत ने इससे साफ इन्कार कर दिया। भारत ने अमेरिका और दूसरे देशों से आने वाले फूड प्रोडक्ट्स पर सबसे ज्यादा टैरिफ लगा रखा है। आखिर भारतीय किसानों को इम्पोर्ट से बचाने की जरूरत क्यों है?
साल 2022 में अमेरिका से आयात होने वाले फूड आइटम्स पर वेटेड एवरेज टैरिफ 40.2% था जबकि पूरी दुनिया के लिए यह 49% था। इसकी वजह यह है कि दुनियाभर के देश भारी सब्सिडी देकर कृषि उत्पादों की कीमत कम रखते हैं। दूसरी तरफ वर्कफोर्स में 44% हिस्सेदारी रखने वाले भारतीय किसान उनके साथ प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकते हैं। सब्सिडी से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कीमतें कम होती हैं। भारत में खेती में मशीनों से ज्यादा मजदूरों का इस्तेमाल किया जाता है। साथ ही पैदावार भी कम है। इससे भारत में कृषि उत्पादों की कीमत ज्यादा है।
विदेशों से कम कीमत
खरीफ की 13 मुख्य फसलों में से केवल चार की कीमत 2024 में भारत में अंतरराष्ट्रीय स्तर से कम है। इनमें सोयाबीन मील, चावल, उड़द और मूंगफली शामिल है। सरकार की मुफ्त अनाज योजना के कारण भारत में गेहूं और चावल की कीमत स्थिर बनी हुई है। कीमतों में सबसे ज्यादा अंतर सोयाबीन तेल में है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह प्रति क्विंटल 4,902 रुपये सस्ता है। इसी तरह सनफ्लावर ऑयल और सनफ्लावर सीड्स 3,993 रुपये और 2,069 रुपये सस्ता है।गेहूं, मूंगफली, अरहर और गन्ने को छोड़कर बाकी सभी फसलों की प्रति हेक्टेयर पैदावार टॉप पांच उत्पादक देशों में भारत में सबसे कम है। वियतनाम, इंडोनेशिया और बांग्लादेश जैसे मिडिल और लो-इनकम देशों में भी चावल की पैदावार भारत से बेहतर है। इथियोपिया में चने की प्रति हेक्टेयर भारत से बेहतर है जबकि पाकिस्तान में कपास का पैदावार हमसे बेहतर है।
सब्सिडी
यूके और जर्मनी में कुल वर्कफोस का केवल 1 फीसदी हिस्सा खेती में लगा है जबकि ग्रॉस वैल्यू एडेड (GVA) में इसकी हिस्सेदारी 1 फीसदी से कम है। भारत में कुल वर्कफोर्स का 44 फीसदी हिस्सा खेती में है और जीवीए में इसकी 16.4 फीसदी हिस्सेदारी है। अमेरिका में कुल वर्कफोर्स का 2%, फ्रांस और जापान का 3%, रूस में 6%, ब्राजील में 8%, साउथ अफ्रीका में 19% और चीन में 22% खेती में लगा है।