महंगाई के आंकड़े में मुफ्त राशन को क्यों जोड़ा जाए? सरकार तरीका बदलने पर कर रही विचार, जानें क्या है प्लान

नई दिल्ली: सरकार खुदरा महंगाई दर तय करने का तरीका बदलने पर विचार कर रही है। इस दिशा में बढ़ते हुए सांख्यिकी व कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने सार्वजनिक रूप से सबकी राय मांगी है। राय इस बात पर मांगी गई है कि पब्लिक डिस्ट्रिब्यूशन सिस्टम के जरिए लोगों को जो गेहूं, चावल सहित मुफ्त अनाज आदि दिया जाता है, उसे भी कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स यानी CPI में शामिल किया जाए या नहीं, जिसके आधार पर खुदरा महंगाई दर तय की जाती है। यह इस मायने में अहम है कि इससे रिटेल इंफ्लेशन के आंकड़ों पर असर पड़ेगा। RBI अपनी मॉनेटरी पॉलिसी और रेपो रेट के बारे में फैसला करते समय रिटेल इंफ्लेशन पर गौर करता है।
क्या है सरकार का प्लान?
मंत्रालय ने CPI की नई सीरीज के लिए बेस ईयर को 2012 से बदलकर 2024 करने का प्रस्ताव दिया है। नई सीरीज में चीजें और उनका वेटेज हाउसहोल्ड कंजम्पशन एक्सपेंडिचर सर्वे 2023-24 पर आधारित होंगे। नई सीरीज 2026 की पहली तिमाही से प्रकाशित करने की योजना है। इस सीरीज में कमोडिटी के लिए PDS और ओपन मार्केट प्राइसेज, दोनों को मिलाकर एक नया यूनिफाइड इंडेक्स लाने का प्रस्ताव है। फ्री चीजों को जीरो प्राइस वाला मानते हुए इंफ्लेशन पर इनके असर का आकलन होगा। डिस्कशन पेपर पर 22 अक्टूबर तक राय दी जा सकती है।
फ्री को क्यों शामिल करना?
डिस्कशन पेपर में कहा गया है कि इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड, वर्ल्ड बैंक और मंत्रालय के एक्सपर्ट ग्रुप के विशेषज्ञों ने इस पर मंथन किया है। एक्सपर्ट्स की राय यह बनी कि PDS में फ्री दी जाने वाली चीजों का परिवारों के उपभोग के तौर तरीके पर बहुत बड़ा असर पड़ता है, साथ ही CPI का उपयोग केवल मॉनेटरी पॉलिसी तय करने में नहीं है। इसकी उपयोगिता लिविंग कॉस्ट, वेज इंडेक्सेशन, पेंशन तय करने से लेकर वेलफेयर स्कीमों तक में होता है। लिहाजा फ्री की चीजों को भी CPI फ्रेमवर्क में शामिल करना चाहिए क्योंकि गेहूं, चावल वगैरह PDS में फ्री तो दिया जाता है, लेकिन इसके चलते खुले बाजार में इन चीजों के भाव पर असर आता है।
अभी क्या है स्थिति?
सीपीआई की मौजूदा सीरीज में फ्री राशन को शामिल नहीं किया जाता क्योंकि इनका उपयोग करने वालों को इन पर खर्च नहीं करना होता। इसलिए इंडेक्स में इन चीजों का वेटेज जीरो है। फ्री चीजों के बारे में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी यही किया जाता है। लेकिन पेपर में कहा गया कि 1 जनवरी 2023 से सरकार ने फ्री राशन की स्कीम शुरू की, जिसके दायरे में करीब 75% ग्रामीण और 50% शहरी आबादी है। इस योजना का दायरा भी बड़ा है और असर भी। दूसरे देशों में सोशल ट्रांसफर स्कीम्स भारत जितनी बड़ी नहीं हैं।