छपरा में ऑर्केस्ट्रा देखने के दौरान गिरा छज्जा, एक साथ खड़े थे 100 से ज्यादा लोग
छपरा के ईश्वरपुर मेले में ऑर्केस्टा के दौरान अचानक छज्जा गिर गया। इस दौरान उसके ऊपर 100 से ज्यादा लोग मौजूद थे। बताया जा रहा है कि मंगलवार देर रात गांव में महावीरी जुलूस निकाला जा रहा था। इसमें ऑर्केस्टा बुलाया गया था। हजारों की संख्या में लोग ऑर्केस्टा देख रहे थे, तभी अचानक एक घर का छज्जा टूटकर गिर गया।
छपरा के प्रसिद्ध ईश्वरपुर मेला में छज्जा गिरने का वीडियो वायरल देर रात का बताया जा रहा है। छज्जा गिरने का यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। घटना बीती रात करीब 2 बजे जिले से करीब 40 किमी दूर बताई जा रही है। बताया जा रहा है कि हादसे में 2 लोगों को मामूली चोट आई है। जिन्हें प्राथमिक इलाज के बाद घर भेज दिया गया है।
सारण, सीवान और गोपालगंज में होता है महावीरी मेला
पश्चिमी बिहार के 3 जिलों सारण, सीवान और गोपालगंज में मुख्य तौर पर महावीरी मेला का आयोजन होता है। जानकार बताते हैं कि इसकी शुरुआत साल 1923 के आसपास हुई थी। धर्म प्रचारक रहे संत मौनी बाबा की अंग्रेज सिपाहियों ने पिटाई कर दी। उन पर भीड़ बटोरने का आरोप लगाया गया।
पिटाई से आहत होकर मौनी बाबा ने सीवान जिले के महाराजगंज में जिंदा ही समाधि ले ली। इसकी जानकारी मिलते ही आसपास के सैकड़ों साधु-संत महाराजगंज पहुंचे। भाला, कटार, तलवार से लैस होकर अंग्रेज सैनिकों के खिलाफ साधु-संतों की टोली करीब एक महीने तक वहां जमी रही। सभी ने भगवान महावीर (हनुमान) को आदर्श मान साधु-संतों की रक्षा का प्रण लिया।
यह घटना हिंदी मास के अनुसार भाद्रपद अमावस्या के दिन हुई थी। धीरे-धीरे तीनों जिलों के सभी धार्मिक स्थानों पर साधु-संत जुटने लगे। हर साल ऐसे आयोजन होने लगे।
इसी घटना की याद में सीवान, गोपालगंज और सारण के इलाकों में भाद्रपद अमावस्या से लेकर अलग अलग दिन धार्मिक स्थलों पर महावीरी मेला का आयोजन होने लगा। बाद में इसमें बल प्रदर्शन के उद्देश्य से अखाड़ा का भी आयोजन होने लगा जिसमें हथियारों का प्रदर्शन और कुश्ती होती थी।
गया में शादी के दौरान हादसा हुआ। वरमाला देखने के लिए बालकनी में महिलाओं की भीड़ जमा हो गई। इस दौरान अचानक बालकनी नीचे गिर गई। इस हादसे में 12 महिलाएं घायल हो गईं। हादसे का वीडियो सामने आया है। जहां स्टेज पर दूल्हा-दुल्हन दिखाई दे रहे हैं। दोनों एक-दूसरे को वरमाला पहनाने वाले थे। इस दौरान बगल के घर की बालकनी में क्षमता से ज्यादा लोग जमा हो गए। जिसके कारण निर्माणाधीन मकान की बालकनी टूट कर गिर गई।