नेता जी ने अफसरों को भेजी चूड़ियां:’सरकार’ ने रूठे नेता को मनाया; अफसर और डॉक्टर के बीच ठनी
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मध्यप्रदेश की राजनीति में रेत बड़ा मुद्दा है। रेत के अवैध खनन पर विंध्य से लेकर बुंदेलखंड तक और चंबल से लेकर मालवा-निमाड़ तक खूब राजनीति होती है। विपक्षी दल के नेता तो अक्सर इस मुद्दे पर सरकार को घेरते रहते हैं।
अब सत्ताधारी दल के नेता भी विरोध जता रहे हैं। सत्ताधारी दल के एक प्रकोष्ठ के मुखिया ने ‘पुराने सरकार’ के जिले के मुख्य अफसर को चूड़ियां भेजी हैं। नेता जी की तकलीफ यह है कि नर्मदा नदी से अवैध रेत खनन किया जा रहा है और अफसर मौन है। इस चुप्पी के विरोध में नेता जी ने कूरियर के जरिए जिला कलेक्टर से लेकर माइनिंग ऑफिसर समेत तमाम जिम्मेदारों को चूड़ियां भेजी हैं।
अफसर और डॉक्टर के बीच ठनी
प्रदेश के सबसे पुराने सरकारी मेडिकल कॉलेज में एक आईएएस अफसर और डॉक्टर के बीच ठनी हुई है। इस विवाद की जड़ दिल के रोगियों के विभाग की शिफ्टिंग है। अफसर को उनके बड़े साहब ने आदेश दिया कि जाओ और पुराने हॉस्पिटल में डिपार्टमेंट की शिफ्टिंग करो।
अफसर विभाग में पहुंचे और डॉक्टरों को फरमान सुनाया तो उन्होंने दो टूक कह दिया कि विभाग के टुकड़े-टुकड़े करके अलग-अलग जगह पर संचालित नहीं किया जा सकता, लेकिन साहब सुनने को तैयार नहीं। नाफरमानी के कारण साहब आगबबूला हैं।
हालांकि, एक्सपर्ट्स के तर्क को मंजूर करते हुए अब डॉक्टरों की राय को तवज्जो दी जा रही है।
ऐन मौके पर सूचना दी, नेता जी नाराज
हाल ही में चुनावी भाग-दौड़ के बीच सरकार के साथ कुछ पत्रकार और बुजुर्ग समाजसेवी एक तीर्थ यात्रा पर पहुंचे। इस यात्रा में पत्रकार से नेता बने एक सज्जन को भी जाना था, लेकिन उन्हें सूचना ऐनवक्त पर दी गई।
इससे वे नाराज हो गए और जाने से मना कर दिया। उन्होंने कहा कि यदि साथ ले जाना था तो पहले सूचना देते। हालांकि, उनकी नाराजगी की खबर ‘सरकार’ के कानों तक पहुंची तो वे उनसे मिले और उन्हें मनाया। ये वही नेता जी है जो प्रदेश संगठन की कमान भी संभाल चुके हैं।
‘नेता जी’ गैरहाजिर रहे, होने चली चर्चाएं
हाल ही में विरोधी दल की एक बड़ी बैठक हुई, जिसमें लोकसभा चुनाव लड़े सभी उम्मीदवारों के साथ पार्टी के प्रदेश मुखिया और पूर्व मुख्यमंत्री समेत तमाम वरिष्ठ नेता और कार्यकर्ता मौजूद थे, लेकिन बड़े नेता नहीं दिखे।
लोकसभा चुनाव में टिकट वितरण के दौर में इनकी नाराजगी की खबरें भी आई थीं। जिसके बाद वे कई बार सार्वजनिक कार्यक्रमों में नजर नहीं आए।
इस बड़ी बैठक में भी वे जब शामिल नहीं हुए तो चर्चाएं होने लगी कि कहीं उनका भी हृदय परिवर्तन तो नहीं हो रहा, लेकिन बाद में पता चला कि नेता जी को खाने-पीने में कुछ गड़बड़ हो गई थी और फूड पॉयजनिंग के चलते उनका इलाज दो-तीन दिन चलेगा।
ये वो नेता हैं जिनको पार्टी ने विधानसभा में सरकार से दो-दो हाथ करने की अहम जिम्मेदारी दे रखी है।
भीषण गर्मी, अधिकारी-कर्मचारी मांगे कूलर
गर्मी ने मंत्रालय में काम करने वाले अफसरों और कर्मचारियों को भी बेहाल कर दिया है। उपसचिव और उससे ऊंचे पदों पर बैठे अधिकारियों के चैंबर में तो एसी लगा है, लेकिन अवर सचिव और अधीनस्थ अमले को कूलर तक नसीब नहीं हो रहे हैं।
स्थिति यह है कि गर्मी से परेशान अधिकारी-कर्मचारी कूलर की डिमांड कर रहे हैं। अफसरों के पास पहुंच रहे हैं, लेकिन कोई समाधान नहीं हो पा रहा है। चार जून के बाद ही कुछ कर पाने का आश्वासन अधिकारी दे रहे हैं। ऐसे में स्टाफ को गर्मी में बैठकर दिन बिताना पड़ रहा है।
यूपी के कलेक्टर की हुई प्रशंसा तो सामने आए एमपी के कलेक्टर
लोकसभा चुनाव के पांचवें चरण की वोटिंग के दौरान एक गांव में सौ फीसदी वोटिंग कराने पर यूपी के ललितपुर जिले के कलेक्टर की सोशल मीडिया में जमकर प्रशंसा होने लगी। ललितपुर कलेक्टर ने जिले के एक गांव के व्यक्ति को बेंगलूरु से वोट डालने के लिए भोपाल तक फ्लाइट का टिकट कराया था। इस वजह से 100 फीसदी वोटिंग हुई।
जब ललितपुर के डीएम की तारीफ हुई तो एमपी के विंध्य क्षेत्र में कलेक्टर रहे और वर्तमान में पूर्व मुख्यमंत्री के चुनाव क्षेत्र में पदस्थ आईएएस अफसर ने विधानसभा चुनाव की वोटिंग का किस्सा सहयोगियों को बताया।
इस दौरान यह बात सामने आई कि नवंबर में हुए चुनाव में उमरिया जिले के तीन गांवों में सौ फीसदी वोटिंग हुई थी। इस पर भी कुछ लोगों ने तोड़ निकालते हुए कहा कि इतनी गर्मी में सौ फीसदी वोटिंग कराने की प्रशंसा तो तब भी बनती है।
विधायक जी ने निबंध लिखकर बयां किया दर्द
एमपी में हुए सियासी उलटफेर के बाद जब से भाजपा की सरकार बनी है। उसके एक विधायक जी का मंत्री बनने का नंबर नहीं लग रहा है। वे गाहे-बगाहे अपने बयानों से पार्टी का ध्यान खींचते रहे हैं।
इस बार विधायक जी ने निबंध लिखकर अपनी पीड़ा जाहिर की है। उनके शहर की बेटी की एक रईसजादे की करतूत के कारण मौत हो गई। इस घटना को अंजाम देने वाला रईसजादे से कोर्ट ने निबंध लिखवाया था। विधायक जी ने अंग्रेजी में लिखे गए उस निबंध को हिंदी में लिखकर न्यायिक व्यवस्था के प्रति अपना आक्रोश व्यक्त किया है।