सुरक्षाकर्मी ने सीपीआर देकर बचाई विधायक की जान:पुलिस ट्रेनिंग में सीखी टेक्नीक काम आई

24 सितंबर के सुबह 10.45 बजे। इंदौर जिले की राऊ विधानसभा सीट से बीजेपी विधायक मधु वर्मा घर में स्थानीय लोगों से मुलाकात कर उनकी समस्याएं सुन रहे थे। अचानक वे बेहोश होकर गिर पड़े।

वहां मौजूद पीएसओ (पर्सनल सिक्योरिटी ऑफिसर) अरुण सिंह भदौरिया, पीए और एक अन्य सहयोगी प्राइवेट कार से विधायक को फौरन अस्पताल लेकर रवाना हुए। इस बीच रास्ते भर विधायक को उनके पीएसओ कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (CPR) भी देते रहे।अस्पताल में डॉक्टरों ने जांच की तो विधायक के हार्ट में ब्लॉकेज पाया गया। इसके बाद उनकी एंजियोप्लास्टी हुई। विधायक मधु वर्मा अभी खतरे से बाहर हैं। डॉक्टरों के साथ विधायक की जान बचाने में पीएसओ की भी अहम भूमिका रही। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने उन्हें आउट ऑफ टर्न प्रमोशन देने की घोषणा की है।

जिनकी सुरक्षा मेरी जिम्मेदारी है, उन्हें सुरक्षित कर पाया

पीएसओ ने पुलिस ट्रेनिंग में सीपीआर देने की टेक्नीक सीखी थी।बताया कि उनकी मां का निधन हार्ट अटैक से हुआ था। उन्हें भिंड से 56 किलोमीटर दूर ग्वालियर ले जा रहे थे। सीपीआर भी दी, लेकिन मां को बचा नहीं सके। भिंड में हार्ट ट्रीटमेंट की व्यवस्था नहीं है।पीएसओ आगे कहते हैं, ‘मां की असमय डेथ के बाद यह बात हमेशा मन में रहती है कि किसी को भी अगर हार्ट अटैक आए तो उसे तुरंत सीपीआर देकर अस्पताल पहुंचा दिया जाए। विधायक जी सुरक्षित हैं, ये सोचकर मन में संतोष हो रहा है। जिनकी सुरक्षा मेरी जिम्मेदारी है, उन्हें सुरक्षित कर पाया, ये बात बहुत सुकून दे रही है।’

सीपीआर क्या है, यह कैसे काम करता है?

यह एक लाइफ सेविंग टेक्नीक है। इसका इस्तेमाल हार्ट अटैक (दिल का दौरा) के दौरान किया जाता है। अगर किसी इंसान के दिल की धड़कन बंद हो जाए तो घर से अस्पताल जाने के दौरान सीपीआर लाइफ सेविंग का काम करता है।

रॉन्ग साइड कार चलाकर पहुंचे अस्पताल

अरुण सिंह भदौरिया ने बताया, ‘विधायक मधु वर्मा लोगों से चर्चा करते हुए बेहोश होकर गिर पड़े। विधायक के पीए भानु हार्डिया, जुगनू कुशवाह और मैं उन्हें लेकर अस्पताल के लिए रवाना हुए। भानु गाड़ी ड्राइव कर रहे थे। गाड़ी की बीच वाली सीट पर विधायक जी को लिटाकर पैरों की तरफ मैं बैठ गया और विधायक को गाड़ी में ही सीपीआर देना शुरू कर दिया।’

‘जुपिटर हॉस्पिटल की वैसे तो विधायक जी के घर से दूरी मात्र दस मिनट की है। चूंकि, ट्रैफिक ज्यादा था, इसलिए सिचुएशन बहुत रिस्की थी। ऐसे में भानु ने गाड़ी रॉन्ग साइड से चलाई और हूटर बजाते हुए अस्पताल पहुंचे। मैंने विधायक जी को गाड़ी में एक बार सीपीआर दिया तो कुछ रिस्पॉन्स नहीं दिखा था, दूसरी बार में उन्हें हल्की सी खांसी आई। जब तक हॉस्पिटल नहीं आ गया, तब तक मैं उन्हें सीपीआर देता रहा।’

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