दुनिया में 8 करोड़ हेल्थकेयर वर्कर्स की कमी, देश में बिना खर्च मेडिकल की 71000 सीटें बढ़ सकती हैं- डॉ. देवी प्रसाद शेट्टी
नई दिल्ली: फ्लैगशिप अदिति स्कीम के साथ Narayana Health (NH) देश की ऐसी पहली हॉस्पिटल चेन बन गई है, जिसने हेल्थ इंश्योरेंस बिजनेस में कदम रखा है। हॉस्पिटल चेन के संस्थापक चेयरमैन डॉ. देवी प्रसाद शेट्टी ने केआर बालसुब्रमण्यम के साथ बातचीत में इश्योरेंस और हेल्थकेयर सेक्टर के बारे में अपनी राय रखी। पेश हैं इस इंटरव्यू के खास अंश:
सवाल: आज भी देश में हेल्थकेयर इंश्योरेंस के दायरे में आने वाले लोगों की संख्या इतनी कम क्यों है?
जवाब: भारत में हितों के टकराव की वजह से हेल्थ इंश्योरेंस बहुत लोकप्रिय नहीं है। यहां अस्पतालों, मरीजों और इंश्योरेंस कंपनियों के बीच आपसी भरोसा नहीं है। इंश्योरेंस डेटा से पता चलता है कि जिन लोगों ने मेडिकल बीमा कराया हुआ है, उनमें से 5% से कम ही डायबिटीज के मरीज हैं। इस आंकड़े पर भरोसा करना मुश्किल है। दरअसल, बीमारियों के बारे में इंश्योरेंस कंपनियां बीमा करवाने वाले की बात पर भरोसा करती हैं। वे प्रीवेंटिव हेल्थ चेकअप पर जोर नहीं देतीं और अक्सर बीमा कंपनियां मरीज के अस्पताल में भर्ती होने के बाद उसका क्लेम खारिज कर देती हैं। फर्ज कीजिए कि मैं एक अस्पताल चला रहा हूं और एक इंश्योरेंस कंपनी भी। यहां हितों का टकराव नहीं है क्योंकि भुगतान एक ही कंपनी की ओर से होना है। लेकिन अगर कोई व्यक्ति सिर्फ अस्पताल चला रहा है तो उसके लिए यही अच्छा होगा कि अधिक से अधिक लोग वहां इलाज करवाने आएं। अब मान लीजिए कि मैं इंश्योरेंस कंपनी भी चला रहा हूं तो मैं यही चाहूंगा कि लोग बीमार न पड़ें। वैसे यह बात भी सही है कि आग लगने की घटना या किसी हादसे के बारे में अंदाजा नहीं लगाया जा सकता, लेकिन हार्ट अटैक के बारे में 90% तक सही अंदाजा लगाया जा सकता है।
जवाब: भारत में हितों के टकराव की वजह से हेल्थ इंश्योरेंस बहुत लोकप्रिय नहीं है। यहां अस्पतालों, मरीजों और इंश्योरेंस कंपनियों के बीच आपसी भरोसा नहीं है। इंश्योरेंस डेटा से पता चलता है कि जिन लोगों ने मेडिकल बीमा कराया हुआ है, उनमें से 5% से कम ही डायबिटीज के मरीज हैं। इस आंकड़े पर भरोसा करना मुश्किल है। दरअसल, बीमारियों के बारे में इंश्योरेंस कंपनियां बीमा करवाने वाले की बात पर भरोसा करती हैं। वे प्रीवेंटिव हेल्थ चेकअप पर जोर नहीं देतीं और अक्सर बीमा कंपनियां मरीज के अस्पताल में भर्ती होने के बाद उसका क्लेम खारिज कर देती हैं। फर्ज कीजिए कि मैं एक अस्पताल चला रहा हूं और एक इंश्योरेंस कंपनी भी। यहां हितों का टकराव नहीं है क्योंकि भुगतान एक ही कंपनी की ओर से होना है। लेकिन अगर कोई व्यक्ति सिर्फ अस्पताल चला रहा है तो उसके लिए यही अच्छा होगा कि अधिक से अधिक लोग वहां इलाज करवाने आएं। अब मान लीजिए कि मैं इंश्योरेंस कंपनी भी चला रहा हूं तो मैं यही चाहूंगा कि लोग बीमार न पड़ें। वैसे यह बात भी सही है कि आग लगने की घटना या किसी हादसे के बारे में अंदाजा नहीं लगाया जा सकता, लेकिन हार्ट अटैक के बारे में 90% तक सही अंदाजा लगाया जा सकता है।