भोपाल- इंदौर नहीं मध्य प्रदेश में सतना और रीवा का हो रहा है तेजी से शहरीकरण

सतना/रीवा: बेहतर शिक्षा और रोजगार की तलाश में लोग गांवों से शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं। इसका असर मध्य प्रदेश के सतना और रीवा जिलों में साफ देखा जा रहा है। इन जिलों में कृषि भूमि को कॉलोनी में बदलने के आवेदन तेजी से बढ़ रहे हैं।

सतना जिले के कोटर निवासी प्रेम नारायण गौतम ने मीडिया को बताया कि वे अपने बेटे को अच्छी शिक्षा देने के लिए शहर आ गए हैं। उन्होंने कहा कि शहरी माहौल में बच्चों का भविष्य सुरक्षित रहेगा। नगर तथा ग्राम निवेश विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, सतना और रीवा में भूमि उपयोग परिवर्तन और कॉलोनी काटने के सबसे ज्यादा आवेदन आ रहे हैं। वहीं, भोपाल और इंदौर जैसे बड़े शहर पांचवें और छठवें नंबर पर हैं। प्रदेश भर में हर साल करीब सात हजार ऐसे आवेदन आते हैं।

आदिवासी क्षेत्रों में कम आवेदन

 

बता दें कि आदिवासी बहुल जिलों जैसे मंडला, डिंडोरी, अलीराजपुर में शहरीकरण की गति धीमी है। इन जिलों में साल भर में सिर्फ 5 से 10 आवेदन ही आते हैं।

भोपाल-इंदौर में धारा 16 की चुनौतियां

 

भोपाल और इंदौर में मास्टर प्लान के अभाव में कॉलोनी काटने के लिए धारा 16 का इस्तेमाल होता है। लेकिन इस धारा के तहत अनुमति मिलना आसान नहीं है, इसलिए इन शहरों में आवेदन कम आते हैं। शहरीकरण से जहां एक ओर विकास होता है, वहीं दूसरी ओर कृषि भूमि कम होती जा रही है और पर्यावरण पर भी बुरा असर पड़ रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि शहरीकरण को नियंत्रित करने के लिए बेहतर शहरी योजना की जरूरत है। कृषि भूमि की सुरक्षा के लिए कड़े कानून बनाने चाहिए। ग्रामीण विकास के लिए कार्यक्रम चलाने चाहिए।

वर्ष 2024 में लैंड यूज और कॉलोनी काटने के आवेदन

जिले का नाम आवेदन

रीवा 1,265
सतना 901
जबलपुर 767
सागर 634
इंदौर 434
कुल आवेदन 4,757
प्लानिंग एरिया 4,181
प्लानिंग एरिया के बाहर 576

प्रमुख सचिव ने क्या कहा?

नगरीय प्रशासन एवं आवास विभाग के प्रमुख सचिव नीरज मंडलोई ने बताया कि जिलों में कॉलोनाइजरों द्वारा जहां कॉलोनी काटने के लिए आवेदन दिए जाते हैं, उस जगह का परीक्षण करने के बाद वैधानिक अनुमतियां दी जाती हैं। चाहे वह धारा-16 में हो अथवा सामान्य अनुमति क्यों न हो। जिन शहरों में जितने आवेदन आए हैं उतनी अनुमतियां परीक्षण के बाद देंगे।

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