शेख हसीना के पिता अब बांग्लादेश के राष्ट्रपिता नहीं:नई स्कूली किताबों में खालिदा जिया के पति जियाउर रहमान को आजादी का क्रेडिट दिया

बांग्लादेश की यूनुस सरकार ने शेख हसीना के पिता और पूर्व राष्ट्रपति शेख मुजीबुर्रहमान की विरासत को मिटाना शुरू कर दिया है। मौजूदा सरकार ने बांग्लादेश की पाठ्य पुस्तकों में बदलाव करने का फैसला किया है। डेली स्टार के मुताबिक अब से किताब में बताया जाएगा कि साल 1971 में बांग्लादेश को पाकिस्तान से आजादी मुजीबुर्रहमान ने नहीं बल्कि जियाउर रहमान ने दिलाई थी।

जियाउर रहमान बांग्लादेश की पूर्व राष्ट्रपति खालिदा जिया के पति थे। वे बांग्लादेश की आजादी के बाद को-आर्मी चीफ बने। बाद में वे देश के राष्ट्रपति भी बने। साल 1981 में सेना से जुड़े कुछ लोगों ने उनकी हत्या कर दी थी। रिपोर्ट के मुताबिक नई किताब में मुजीब की राष्ट्रपिता की उपाधि को भी हटा दिया गया है। यह किताब प्राइमरी से लेकर सेकेंडरी लेवल तक के छात्रों को पढ़ाई जाएगी।

बांग्लादेश की आजादी की घोषणा को लेकर विवाद

बांग्लादेश में यह हमेशा से विवादित रहा है कि वहां आजादी की घोषणा किसने की थी। अवामी लीग का दावा है कि यह घोषणा ‘बंगबंधु’ मुजीबुर्रहमान ने की थी, जबकि खालिदा जिया की BNP पार्टी अपने संस्थापक जियाउर रहमान को इसका श्रेय देती है।

रिपोर्ट के मुताबिक यह पहली बार नहीं हुआ है जब बांग्लादेश की टेक्स्ट बुक में ऐसा बदलाव हुआ है। वहां पर सरकार बदलने के साथ ही किताब में आजादी की घोषणा करने वाले नेता के नाम में भी बदलाव होता रहा है।

शेख हसीना ने 14 साल पहले किताब में बदलाव कराया था

टेक्स्ट बुक में बदलाव कराने वाले लेखकों में शामिल रिसर्चर राखल राहा ने कहा कि पहले के किताबों में कोई तथ्य आधारित जानकारी नहीं थी। NCTB के अधिकारियों ने कहा कि जब 1996-2001 तक देश में स्वतंत्र सरकार चल रही थी तब टेक्स्ट बुक में लिखा था कि शेख मुजीब ने बांग्लादेश के आजादी की घोषणा की और जियाउर रहमान ने यह घोषणा पढ़ी।

इसके बाद 2001 में जब खालिदा जिया की सरकार बनी तो उन्होंने इसमें बदलाव कर दिया। साल 2009 में शेख हसीना के सत्ता में आने के बाद 2010 में भी किताबों में बदलाव हुआ था। तब किताबों में यह जोड़ा गया था कि शेख मुजीबुर्रहमान ने 26 मार्च 1971 को पाकिस्तानी सैनिकों से गिरफ्तार होने से पहले वायरलेस मैसेज से आजादी की घोषणा की थी।

अधिकारी बोले- किताबों में किसी का महिमामंडन नहीं होगा

अब नई किताबों में बताया जाएगा कि 26 मार्च 1971 को सबसे पहले जियाउर रहमान ने बांग्लादेश की आजादी की घोषणा की थी। इसके एक दिन बाद 27 मार्च को शेख मुजीबुर्रहमान ने आजादी की घोषणा की।

राखल राहा ने कहा कि इतिहास की किताब में अब किसी भी व्यक्ति का गैरजरूरी महिमा मंडन नहीं किया जाएगा। साथ ही किसी के बारे में बढ़ा-चढ़ाकर बताई गई बातों को भी हटा दिया जाएगा।

आजादी की घोषणा करने वाले नाम में बदलाव को लेकर राखल राहा ने कहा-

QuoteImage

संविधान में दो-तिहाई बहुमत से संशोधन किया जा सकता है। अगर आपके पास बहुमत का है तो आप कुछ भी कर सकते हैं। किसी भी गलत काम को संविधान की मदद से उचित नहीं ठहराया जा सकता। सच्चाई संविधान से ऊपर है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button