हॉकी का ‘गोल्डन’ दौर लौटाने का लक्ष्य, क्या फिर लिखी जाएगी गौरवगाथा

राहुल कुमार, नई दिल्ली: ओलिंपिक्स में हॉकी का खेल सही मायनों में भारत की सच्ची गौरवगाथा है। आधुनिक ओलिंपिक गेम्स की शुरुआत के बाद से दुनिया की ऐसी कोई टीम नहीं है जिसने 20वीं सदी में भारतीय मेंस हॉकी टीम से ज्यादा कामयाबी हासिल की हो और प्रभाव छोड़ा हो। ग्रीष्मकालीन ओलिंपिक्स में भारत ने अभी तक तमाम खेलों को मिलाकर कुल 35 मेडल ही जीते हैं जिनमें 10 गोल्ड, नौ सिल्वर और 16 ब्रॉन्ज मेडल शामिल हैं। दिलचस्प यह है कि 10 गोल्ड मेडल में से आठ अकेले भारतीय मेंस हॉकी टीम ने ही दिलाए हैं। जबकि एक सिल्वर और दो ब्रॉन्ज मेडल भी उसके हिस्से आए हैं। भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने 1928, 1932, 1936, 1948, 1952, 1956, 1964 और 1980 के ओलिंपिक्स में स्वर्ण पदक जीता।

तोक्यो ओलिंपिक्स-2020 में भारतीय मेंस हॉकी टीम ब्रॉन्ज मेडल जीतकर 41 साल बाद फिर से पोडियम पर पहुंची। ऐसे में पेरिस ओलिंपिक्स-2024 के लिए एक बार फिर इस खेल में उम्मीदें जवां हो गई हैं। हॉकी प्रेमियों को आभास हो रहा है कि भारत इस खेल में दोबारा अपनी नई ताकत के साथ उभरने की राह पर है। गोलकीपर पीआर श्रीजेश, मनप्रीत सिंह और कप्तान हरमनप्रीत सिंह जैसे उम्दा प्लेयर्स के बूते पेरिस में फिर से पोडियम पर पहुंचने की आस हॉकी प्रेमी लगाए हुए है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button