बागियों की मान मनौव्वल में जुटी पार्टियां, नाम वापस लेने का आज अंतिम दिन

भोपाल

विधानसभा चुनाव में नाम वापस लेने का आज अंतिम दिन है। प्रत्याशी दोपहर तीन बजे तक नाम वापस ले सकते हैं। इसके बाद ही मुकाबले की स्थिति स्पष्ट हो सकेगी। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही प्रमुख राजनीतिक दलों का दावा है कि उनके वरिष्ठ नेताओं ने बागियों से चर्चा कर ली है और नाम वापस लेने के लिए उन्हें मना लिया है। हालांकि दोपहर बाद ही स्पष्ट होगा कि पार्टियों के दावे की वास्तविकता क्या है।

इंदौर में बगावत के हिसाब से देखें तो भाजपा और कांग्रेस दोनों ही बागियों से परेशान हैं। इंदौर जिले की 9 विधानसभा सीटों में से कम से कम दो सीटें ऐसी हैं जहां बागी परिणाम को सीधे-सीधे प्रभावित कर सकते हैं। ये दोनों सीटें ग्रामीण क्षेत्र की हैं। देपालपुर में बागी प्रत्याशी की वजह से भाजपा की चिंता बढ़ी हुई है तो महू में बागी प्रत्याशी ने कांग्रेस को चिंता में डाल रखा है।

दमदार तरीके से कर रहे हैं सामना

देपालपुर और महू दोनों ही जगह बागी प्रत्याशी पूरे दमखम से मैदान में डटे हुए हैं। हालांकि दोनों ही राजनीतिक पार्टियां दावा कर रही हैं कि गुरुवार दोपहर तीन बजे से पहले बागी प्रत्याशी अपना नाम वापस ले लेंगे। देपालपुर में जबरेश्वर सेना के राजेंद्र चौधरी मैदान पकड़े बैठे हैं तो महू में पूर्व विधायक अंतरसिंह दरबार। चौधरी देपालपुर में भाजपा प्रत्याशी को नुकसान पहुंचा सकते हैं तो महू में दरबार कांग्रेस प्रत्याशी को।

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह भी प्रदेश स्तर के नेताओं को कह चुके हैं कि नाराज नेताओं को मनाया जाए। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और पार्टी के सीनियर नेता नाराज नेताओं को मनाने की कोशिश में जुट गए हैं। प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने कई नाराज नेताओं को मनाने की कोशिश की है। वहीं, कांग्रेस भी रूठों को मनाने में लगी हुई है। आलाकमान प्रदेश स्तर पर नेताओं से संपर्क कर मान मनौव्वल में जुटा हुआ है।

इन पांच बड़े बागियों ने खड़ी की मुसीबतें
बुराहनपुर की सीट पर पूर्व सांसद और मध्यप्रदेश भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रहे दिवंगत नंदकुमार सिंह चौहान के बेटे हर्षवर्धन निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। डेढ़ साल पहले खंडवा सांसद नंद कुमार सिंह चौहान के निधन के बाद बेटे हर्षवर्धन लोकसभा उपचुनाव में टिकट के दावेदार थे, लेकिन भाजपा ने ज्ञानेश्वर पाटिल को उतारा था। इस बार विधानसभा चुनाव में पार्टी ने पूर्व मंत्री अर्चना चिटनीस को टिकट दिया। हर्षवर्धन ने भी बुरहानपुर से टिकट मांगा था। टिकट नहीं मिलने पर नाराज होकर हर्षवर्धन निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं।

2018 के विधानसभा चुनाव में बसपा के टिकट पर पृथ्वीपुर सीट से चुनाव लड़े नंदराम कुशवाह 2021 के विधानसभा उपचुनाव के दौरान भाजपा में शामिल हो गए थे। नंदराम इस चुनाव में भाजपा से निवाड़ी विधानसभा क्षेत्र से टिकट की दावेदारी कर रहे थे, लेकिन पार्टी ने 2 बार के विधायक अनिल जैन को उम्मीदवार बनाया है। ऐसे में अब नंदराम कुशवाहा निवाड़ी सीट पर निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। भाजपा नेताओं के समझाने के बाद भी नंदराम मानने को तैयार नहीं है। इसी सीट से भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष कमलेश्वर देवलिया भी निर्दलीय ताल ठोंक रहे हैं। ऐसे में उनकी उम्मीदवारी बीजेपी उम्मीदवार के लिए मुश्किलें खड़ी कर रही है।

जबलपुर उत्तर मध्य सीट पर भी बागियों ने भाजपा के लिए परेशानी खड़ी कर रखी है। इस सीट से भाजपा के वरिष्ठ नेता और नगर निगम नेता प्रतिपक्ष कमलेश अग्रवाल ने पार्टी से बगावत कर दी। वे निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे। कमलेश अग्रवाल ने उत्तर मध्य विधानसभा से नामांकन फॉर्म भरा है। उनका आरोप है कि बाहरी प्रत्याशियों को लाकर चुनाव लड़ाया जा रहा है, इससे स्थानीय कार्यकर्ता आहत हैं। कमलेश अग्रवाल को मनाने की भी कोशिश की, लेकिन वह नहीं माने। अब यहां त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल सकता है। भाजपा ने यहां से अभिलाष पांडे को तो कांग्रेस ने विनय सक्सेना को उम्मीदवार बनाया है।

टीकमगढ़ सीट पर केके श्रीवास्तव ने भाजपा के लिए परेशानी खड़ी कर दी है। श्रीवास्तव 2013 से 2018 तक विधायक रह चुके हैं। पिछली बार भाजपा ने उनका टिकट काटकर राकेश गिरी को दिया। वे विधायक चुने गए। केके श्रीवास्तव इस बार फिर से यहां से दावेदारी कर रहे थे, जबकि भाजपा ने राकेश गिरी को ही चुनावी मैदान में उतारा। ऐसे में केके श्रीवास्तव निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। केके भाजपा से इस्तीफा दे चुके हैं। भाजपा के नेता उन्हें मनाने की कोशिश में लगे हुए हैं, लेकिन वे पीछे हटने को तैयार नहीं हैं।

ये नेता मना रहे है बागियों को
मध्यप्रदेश में भाजपा से टिकट नहीं मिलने से नाराज नेताओं से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, प्रह्लाद पटेल, कैलाश विजयवर्गीय, प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा बातचीत कर रहे हैं। इनके अलावा केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव और अश्विनी वैष्णव, राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिव प्रकाश भी मनाने में लगे हुए हैं, जबकि कांग्रेस से बगावती रुख अख्तियार करने वालों नेताओं को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के अलावा प्रदेश प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला बातचीत करने में जुटे हैं। दिग्विजय सिंह फोन से संपर्क कर बागियों को समझा रहे हैं।

इन सीटों पर कांग्रेस के बागी बने परेशानी
राजधानी भोपाल उत्तर विधानसभा सीट पर 6 बार के कांग्रेस विधायक आरिफ अकील के भाई आमिर ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर नामांकन दाखिल किया है। आमिर अपने बडे़ भाई की सीट पर टिकट मांग रहे थे। हालांकि, कांग्रेस ने आरिफ अकील के बेटे आतिफ को चुनाव मैदान में उतारा है। इससे नाराज आमिर निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। आमिर को आरिफ अकील और कांग्रेस के कई नेता समझा चुके हैं, लेकिन वो मानने को तैयार नहीं हैं। आमिर को दिग्विजय सिंह फोन कर चुके हैं।

भोपाल की हूजूर सीट से पूर्व विधायक जितेंद्र डागा निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। डागा कांग्रेस से टिकट मांग रहे थे। पार्टी ने पिछला चुनाव हारे नरेश ज्ञानचंदानी को उम्मीदवार घोषित कर दिया। इसके बाद से ही उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया था। कांग्रेस नेताओं ने मनाने की कोशिश की। लेकिन वे पीछे नहीं हटने को तैयार नहीं है।

नरसिंहपुर की गोटेगांव सीट पर कांग्रेस को बगावती सुर का सामना करना पड़ रहा है। कांग्रेस ने पहली सूची में शैलेंद्र चौधरी को प्रत्याशी घोषित किया था। इस सीट के मौजूदा विधायक और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति की नाराजगी को देखते हुए पार्टी ने दूसरी सूची में शैलेंद्र चौधरी की जगह एनपी प्रजापति को फिर से उम्मीदवार घोषित कर दिया। टिकट कटने से नाराज होकर शैलेंद्र अब निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। उनसे पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने बात की, लेकिन वो नहीं माने।

उज्जैन की बड़नगर सीट से कांग्रेस के मौजूदा विधायक मुरली मोरवाल का टिकट काटकर राजेंद्र सिंह सोलंकी को दिया था। मोरवाल के समर्थकों ने भोपाल में जमकर हंगामा किया। इसके बाद राजेंद्र सिंह सोलंकी का टिकट बदलकर दोबारा मुरली मोरवाल को दे दिया। अब राजेंद्र सिंह सोलंकी ने निर्दलीय नामांकन दाखिल किया है। सोलंकी अब पीछे हटने को तैयार नहीं है।

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