भैंसाखेड़ी कृषि मंडी में पसरा सन्नाटा, धर्मकांटा नहीं लग सका, किसानों की बेरुखी भी बरकरार

 भोपाल। संत हिरदाराम नगर (बैरागढ़) से सटे ग्राम भैंसाखेड़ी स्थित पं. दीनदयाल कृषि उपज मंडी में पिछले दो साल से सन्नाटा पसरा है। किसान यहां आना नहीं चाहते। अब व्यापारियों की भी अनाज की नीलामी में रुचि नहीं बची है। अधिकांश गोदाम बंद पड़े हैं। मंडी में धर्मकांटा लगाने के प्रस्ताव पर अमल नहीं हो पा रहा है। धर्मकांटा नहीं होने के कारण अनाज की तुलाई धीमी गति से होती है। पिछले दिनों किसानों ने अपनी मांग को लेकर प्रदर्शन भी किया था, लेकिन धर्मकांटा नहीं लग सका।
इस बार गेहूं की फसल लेकर कम ही किसान मंडी तक पहुंचे। मंडी समिति ने सोसायटियों के माध्यम से समर्थन मूल्य पर खरीदी की, लेकिन व्यापारियों ने नीलामी में भाग नहीं लिया। अनाज व्यापारी संघ के अध्यक्ष जगदीश आसवानी का कहना है कि मंडी में अच्छी क्वालिटी का गेंहूं नहीं आया, इसलिए व्यापारियों ने खरीदी नहीं की। आसवानी के अनुसार बैरागढ़ एवं आसपास के इलाके में कृषि भूमि कम बची है। अधिकांश किसान फसल बेचने सीहोर एवं करोंद मंडी जा रहे हैं। इस कारण मंडी में कारोबार कम हो गया है। गांधीनगर एंव पास के इलाकों में भी किसान सीधे अनाज बेच देते हैं।

यही हाल रहा तो बंद होगी मंडी

बैरागढ़ में कृषि उपज मंडी का निर्माण लंबे संघर्ष के बाद हुआ था। पहले मंडी को मुबारकपुर में बनाया जा रहा था। व्यापारिक संगठनों के संघर्ष और कांग्रेस एवं भाजपा नेताओं के बीच आपसी सहमति के बाद मंडी भैंसाखेड़ी में ही बनी। पिछले पांच साल से मंडी में कारोबार बहुत कम हो गया है। मंडी समिति एवं व्यापारी संघ के बीच कई बैठकें हो चुकी हैं। व्यापारी कहते हैं कि हम खरीद करना चाहते हैं, पर किसान ही नहीं आते। यही कारण है कि अब अधिकांश गोदाम बंद पड़े हैं। आसवानी के अनुसार जल्द ही मंडी को विकसित करने के लिए नए सिरे से प्रयास करेंगे। सोयाबीन एवं मक्का की खरीदी की जाएगी।

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