भोपाल में करोड़पति जूनियर ऑडिटर ने घर में ही बना रखे थे गुप्त लॉकर, विदेशी मुद्रा भी बरामद

भोपाल। तकनीकी शिक्षा संचालनालय में मुख्यमंत्री मेधावी योजना के श्यामला हिल्स स्थित कार्यालय में कार्यरत जूनियर ऑडिटर रमेश हिंगोरानी के संत हिरदाराम नगर (बैरागढ़) स्थित निवास और तीन स्कूलों पर छापामार कार्रवाई के दौरान यह भी पता चला है कि जूनियर ऑडिटर ने अपने घर में ही गुप्त लॉकर बना रखे थे।

दबिश के दौरान उसके परिवार के लोगों ने ही लॉकरों के बारे में जानकारी दी थी। हिंगोरानी ने इन लॉकरों में सोने-चांदी के आभूषण, डायमंड ज्वेलरी और नकदी रखे थे। इसके साथ ही घर से अमेरिकी डॉलर एवं दुबई में चलने वाली मुद्रा दिरहम भी बरामद हुई है। इस कार्रवाई में 90 करोड़ की संपत्ति का खुलासा हुआ।

बैंकों से मांगी जानकारी

लोकायुक्त पुलिस ने बैंक खातों में हुए लेन-देन की जांच के साथ ही बैंकों से लॉकर के बारे में भी जानकारी मांगी है। पुलिस ने बैंकों से कहा है कि यदि उनके यहां हिंगोरानी या उनके स्वजनों का कोई लॉकर हो तो उसे आपरेट न करने दिया जाए।
छापामार कार्रवाई के दौरान कुल कितनी संपत्ति के दस्तावेज मिले हैं, इसका पूरा विवरण अभी तक सामने नहीं आया है। हिंगोरानी ने आय से अधिक संपत्ति कहां-कहां निवेश की है, इसको लेकर जांच जारी है।

छह टीमों ने एक साथ मारा था छापा

बता दें कि आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने की शिकायत के बाद लोकायुक्त की छह टीमों ने बुधवार को हिंगोरानी के निवासी सहित अन्य ठिकानों पर छापामार कार्रवाई की थी। रात एक बजे लोकायुक्त की टीम ने आभूषण, नगदी एवं संपत्ति के दस्तावेजों का विवरण एकत्रित करने की कार्रवाई पूरी की। पंचनामा बनाने के बाद पुलिस घर से रवाना हुई।
लोकायुक्त डीएसपी संजय शुक्ला ने बताया कि रमेश हिंगोरानी के निवास पर करीब आधा दर्जन ऐसे लॉकर थे, जो आसानी से नजर नहीं आ रहे थे। इन लॉकरों से नकदी एवं जेवर निकालकर सूची बनाई गई है। हमने बैंकों से लॉकर के बारे में जानकारी मांगी है। पूरी रकम एवं निवेश राशि का आंकड़ा अभी नहीं बताया जा सकता है। यह जांच पूरी होने के बाद ही सामने आएगा।

जीव सेवा संस्थान में गड़बड़ी की ईओडब्ल्यू में की थी शिकायत, अब खुद उलझे

लोकायुक्त द्वारा पकड़े गए तकनीकी शिक्षा विभाग के कर्मचारी रमेश हिंगोरानी इसके पहले जीव सेवा संस्थान में गड़बड़ी उजागर करने को लेकर चर्चा में आए थे। अब वह खुद घेरे में आ गए हैं। हिंगोरानी ने आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) भोपाल में शिकायत की थी कि जीव सेवा संस्थान में कुछ लोग ट्रस्ट की जमीन बिल्डर को बेच रहे हैं। ईओडब्ल्यू ने जांच की तो शिकायत सही पाई गई।
इसके बाद दो वर्ष पहले मामले में जीव सेवा संस्थान के पदाधिकारी हीरो ज्ञानचंदानी सहित तीन लोगों पर एफआईआर कायम की गई थी। संस्थान से जुड़े एक व्यक्ति को ट्रेप कराने में भी हिंगोरानी की भूमिका रही। सूत्रों का कहना है कि इसी लड़ाई की वजह से ही एक वर्ग ने हिंगोरोनी के यहां छापेमारी में पर्दे के पीछे काम किया है।

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