भोपाल में ईको फ्रेंडली बकरीद की मांग:संस्कृति बचाओ मंच तैयार करवा रहा मिट्टी के बकरे, धर्मगुरुओं को लिखा पत्र

बकरीद से पहले ‘संस्कृति बचाओ मंच’ ने मुस्लिम समाज से इको फ्रेंडली ईद मनाने की अपील की है। मंच के अध्यक्ष चंद्रशेखर तिवारी ने कहा कि इस बार मंच मिट्टी से बने प्रतीकात्मक बकरों का निर्माण करवा रहा है, जिनकी कीमत 1 हजार रुपए रखी गई है। उन्होंने कहा कि यदि समाज की ओर से मांग आती है तो यह ईको फ्रेंडली बकरे उपलब्ध कराए जाएंगे। तिवारी ने कहा कि हमने मुस्लिम धर्मगुरुओं को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि वे कुर्बानी के बजाय प्रतीकात्मक कुर्बानी का संदेश दें और पर्यावरण के हित में एक नई परंपरा की शुरुआत करें।

उन्होंने कहा कि जब होली, दीपावली और गणेशोत्सव जैसे पर्वों को पर्यावरण के प्रति संवेदनशील बनाकर मनाया जा सकता है, तो बकरीद पर भी ईको फ्रेंडली तरीके अपनाना चाहिए। मिट्टी के बकरों से प्रतीकात्मक कुर्बानी देने से न केवल जल की बर्बादी रोकी जा सकेगी, बल्कि पशु हिंसा और प्रदूषण भी कम होगा।

चंद्रशेखर तिवारी ने शहर काजी को एक पत्र लिखकर आग्रह किया है कि वे मुस्लिम समाज से इको फ्रेंडली बकरीद मनाने का आह्वान करें और प्रतीकात्मक कुर्बानी का संदेश दें। उनका कहना है कि कुर्बानी के नाम पर लाखों लीटर पानी खून धोने में बर्बाद होता है, जो गंभीर पर्यावरणीय चिंता का विषय है। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि जब पशु क्रूरता अधिनियम के तहत अन्य जानवरों की हत्या पर प्रतिबंध है, तो बकरों को इससे अलग क्यों रखा गया है।

उन्होंने कहा कि बच्चों को एक महीने तक जिस जानवर से भावनात्मक रूप से जोड़ा जाता है, उसे ईद के दिन खुद उनके हाथों से कटवाना, उनके मन में हिंसा और हत्या की मानसिकता विकसित करता है। उन्होंने धर्मगुरुओं से अपील की कि वे इस पर गंभीरता से विचार करें और समाज को नई दिशा देने का प्रयास करें।

मिट्टी से बने बकरों की पहल संस्कृति बचाओ मंच ने दावा किया है कि चार साल पहले भी उन्होंने मिट्टी के प्रतीकात्मक बकरे बनवाए थे, जिन्हें काफी सराहना मिली थी। इस बार भी मंच ने 1 हजार रुपये कीमत के इको फ्रेंडली बकरे तैयार करवाए हैं। मंच ने कहा है कि अगर मुस्लिम समाज मांग करता है तो ये प्रतीकात्मक बकरे उन्हें शुल्क लेकर उपलब्ध कराए जाएंगे। चंद्रशेखर तिवारी ने कहा कि "हर त्योहार को पर्यावरण के अनुकूल बनाने की जरूरत है। हम दीपावली पर कम पटाखे फोड़ने की बात करते हैं, होली में पानी बचाने की अपील करते हैं, गणेशोत्सव में मिट्टी की मूर्तियों का प्रचार करते हैं, तो बकरीद पर भी एक नई सोच के साथ आगे बढ़ना चाहिए।

धर्मगुरुओं से अपील: एक सकारात्मक पहल करें मंच ने धर्मगुरुओं से निवेदन किया है कि वे खुद आगे आकर प्रतीकात्मक कुर्बानी का समर्थन करें और समाज को संदेश दें कि हत्या नहीं, भावना ही पर्याप्त है। तिवारी ने कहा, "अगर कोई सकारात्मक पहल करेगा, तो संस्कृति बचाओ मंच उसका हरसंभव समर्थन करेगा।

7 जून को बकरीद मनाई जाएगी राजधानी भोपाल में ईदुल अजहा (बकरीद) 7 जून, शुक्रवार को मनाई जाएगी। यह ऐलान शहरकाजी मुश्ताक अली नदवी ने बुधवार की शाम मोती मस्जिद में मगरिब की नमाज के बाद किया। उन्होंने बताया कि चांद देखने की कोशिश के बाद रोइय्यते हिलाल कमेटी की बैठक में यह निर्णय लिया गया।

शहरकाजी ने बताया कि गुरुवार, 29 मई को इस्लामी कैलेंडर के मुताबिक जिलहिज्जा माह की पहली तारीख होगी। इस्लाम धर्म के अनुसार जिलहिज्जा की 10वीं तारीख को ईदुल अजहा मनाई जाती है, लिहाजा इस बार यह पर्व 7 जून को होगा।

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