कैबिनेट में जाएगा:विधायकों को सब्सिडी पर मिलने वाले कर्ज का प्रस्ताव

विधायकों को घर और गाड़ी के लिए सब्सिडी पर मिलने वाले कर्ज की राशि को दो गुना करने के प्रस्ताव को वित्त विभाग की सहमति के बाद उच्च स्तर से हरी झंडी मिल गई है। अब संसदीय कार्य विभाग जल्द ही प्रस्ताव को कैबिनेट में रखेगा। उच्च स्तर से मंजूर प्रस्ताव में स्पष्ट है कि विधायकों को अब घर के लिए 25 की बजाय 50 लाख रुपए तक और गाड़ी के लिए 15 की बजाय 30 लाख रुपए तक कर्ज मिलेगा।

वित्त ने सहमति देते समय एक शर्त जरूर जोड़ दी है कि 25 लाख रुपए तक घर के लिए और 15 लाख रुपए तक गाड़ी के लिए कर्ज लेने वाले विधायक को सिर्फ 4% ब्याज देना होगा। ब्याज की शेष राशि राज्य सरकार बतौर सब्सिडी देगी। उदाहरण के लिए, यदि ब्याज की दर बैंकों में 9% है तो विधायक 4% ब्याज भरेंगे, बाकी का 5% सरकार सब्सिडी के तौर पर देगी।

यह पुरानी व्यवस्था थी, जिसे बरकरार रखा गया है। लेकिन यदि कोई विधायक 25 से 50 लाख रुपए तक कर्ज घर के लिए और 15 से 30 लाख रुपए तक कर्ज गाड़ी के लिए लेता है तो राज्य सरकार सिर्फ 2% ही सब्सिडी के तौर पर ब्याज भरेगी। बाकी विधायक को खुद वहन करना होगा। यानी उदाहरण के लिए ब्याज दर 9 प्रतिशत है तो विधायक को 7% ब्याज खुद भरना होगा।

पिछली व्यवस्था में 32, मौजूदा में 3 विधायक ले चुके कर्ज

नए प्रस्ताव को मंजूरी इसी माह मिलती है तो जुलाई-अगस्त से कर्ज का वितरण शुरू होगा। पुरानी व्यवस्था में 2018 से 2023 तक कुल 32 विधायकों ने कर्ज लिया, जबकि 2023 के बाद तीन विधायक कर्ज ले चुके हैं। विधानसभा सूत्रों का कहना है कि कर्ज की राशि बढ़ाने की डिमांड करीब सात साल पुरानी है। तत्कालीन सदस्य सुविधा समिति ने 15 जून 2018 को बैठक करके राशि बढ़ाने का प्रस्ताव बनाया था। इसके बाद फाइल कागजों, बैठकों और कोरोना में उलझ गई। अब यह मुकाम पर पहुंची है।

2023 में निर्वाचित विधायकों को ही नए प्रस्ताव का लाभ मिलेगा

बैठक में वित्त विभाग व उच्च अधिकारियों का मत था कि गाड़ी कोई 15 लाख से अधिक महंगी लेता है तो वह ब्याज भी भर सकता है। इसी तरह, कोई बड़े घर के लिए कर्ज लेता है तो उसके लिए ब्याज भरना सामान्य होगा। आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि जून में इस प्रस्ताव को कैबिनेट से मंजूरी मिल सकती है। संसदीय कार्य विभाग के मुताबिक, प्रस्ताव में कहा गया है कि कर्ज की नई व्यवस्था का लाभ मौजूदा विधानसभा सत्र यानी 2023 के चुनाव में निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को ही मिलेगा।

सब्सिडी का भुगतान सरकार 5 साल करेगी

बैंकों के ब्याज दर पर मिलने वाली सब्सिडी को भी अवधि में सीमित किया गया है। यानी कर्ज लेने वाले साल से लेकर अगले 5 वर्षों तक ही सब्सिडी का भुगतान सरकार के द्वारा होगा। इसके बाद यह व्यवस्था बंद हो जाएगी। विधायक को पूरा ब्याज भरना होगा। पूर्व में इस अवधि को बढ़ाने की बात चल रही थी, जिस पर सहमति नहीं बन पाई।

कर्ज की राशि बढ़ाने पर सहमति बन गई है

कर्ज की राशि बढ़ाने पर सहमति बन गई है। अब जल्द ही आगे की कार्यवाही पूरी करेंगे।’

 - अनुपम राजन, अपर मुख्य सचिव, संसदीय कार्य विभाग


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