नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह को झटका, हाईकोर्ट ने जुर्माना लगाया, क्या है मामला?

ग्वालियर
हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह पर 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने यह आदेश जारी किया। हाईकोर्ट ने कहा कि गोविंद सिंह ने अदालत पर अनावश्यक दवाब बनाने के लिए झूठे आरोप लगाए। इसके साथ ही अदालत ने नेता प्रतिपक्ष की ओर से पेश किए गए आवेदन को खारिज कर दिया।

दरअसल, वरिष्ठ कांग्रेस नेता डॉ. गोविंद सिंह ने हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में आवेदन दिया था कि केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई किसी अन्य अदालत में होनी चाहिए। सुनवाई करते हुए जस्टिस दीपक अग्रवाल ने इसे अस्वीकार करते हुए गोविंद सिंह पर दस हजार रुपये का जुर्माना लगाया। जस्टिस अग्रवाल ने कहा कि आवेदक ने हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की जिसे खारिज कर दिया गया।

जस्टिस अग्रवाल ने कहा- इससे जाहिर होता कि याचिकाकर्ता ने अदालत पर दबाव बनाने के लिए ऐसा आवेदन दिया था। आवेदन की ओर से बेंच के खिलाफ झूठे आरोप लगाए गए। यदि याचिकाकर्ता चुनाव याचिका की सुनवाई हाईकोर्ट की इस बैंच से कराने के इच्छुक नहीं थे तो उन्हें यह आवेदन मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के समक्ष पेश करना चाहिए था। अब एसएलपी खारिज होने के बाद आवेदन आया है जिसे खारिज किया जाता है। अदालत गोविंद सिंह पर 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाती है।

मालूम हो कि गोंविद सिंह ने केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के निर्वाचन को अदालत में चुनौती दी है। उन्होंने अपनी याचिका में सिंधिया के पर्चा दाखिले के दौरान दिए गए हलफनामे में जानकारी छिपाने का आरोप लगाया गया है। गोविंद सिंह ने याचिका में कहा है कि सिंधिया ने भोपाल के पुलिस थाना श्यामला हिल्स में दर्ज FIR की जानकारी हलफनामे में नहीं दी थी।

याचिकाकर्ता गोविंद सिंह ने सबसे पहले हाईकोर्ट में आवेदन देकर मामले की सुनवाई किसी अन्य बेंच में करने की अपील की थी। लेकिन हाईकोर्ट ने उनकी अपील खारिज कर दी थी। इसके बाद गोविंद सिंह नेइसी मांग के साथ सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की थी। सर्वोच्च अदालत ने भी उनकी सीएलपी खारिज कर दी तो उन्होंने फिर हाइकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में आवेदन दिया था और मामले की सुनवाई किसी दूसरी बेंच में करने की मांग की थी।

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