कनाडा से तनाव के बीच तुर्की ने UN में अलापा कश्मीर राग, क्या कहा

नई दिल्ली

जी20 सम्मेलन में भारत के साथ दिखने वाले तुर्की ने एक बार फिर अपना पुराना रंग दिखा दिया है। संयुक्त राष्ट्र महासभा के 78 वें सेशन के दौरान राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने कहा कि दक्षिण एशिया में स्थिरता और विकास के लिए कश्मीर में न्यायपूर्ण ढंग से शांति स्थापित करना जरूरी है और यह भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत से ही संभव है। बता दें कि तुर्की पहले भी पाकिस्तान मोह दिखाता रहा है और हर बार भारत की तरफ से यही जवाब दिया गया है कि उसे भारत के आंतरिक मामलों में बोलने की कोई जरूरत नहीं है।

एर्दोगन ने कहा, कश्मीर में शांति स्थापित करने के लिए जो भी कदम उठाए जाएंगे, हम उनका समर्थन करेंगे। कश्मीर पर बोलने के बाद एर्दोगन ने यह भी कहा कि यूएनएससी में भारत को अगर स्थायी सदस्यता देने पर विचार होता है तो वह समर्थन करेंगे। उन्होंने कहा कि यूएनएससी में भारत की भूमकि अहम है और यह गर्व की बात है। एर्दोगन ने कहा कि दुनिया पांच देशों से बड़ी है। बता दें कि अभी तक यूएनएससी में केवल पांच ही स्थायी सदस्य हैं और वे हैं अमेरिका, यूके, रूस, फ्रांस और चीन।  

तुर्की पहले भी करता रहा है हिमाकत
तुर्की ने पहली बार कश्मीर राग नहीं आलापा
है बल्कि अकसर उसका पाकिस्तान मोह खुलकर बाहर आता रहता है। यूएनएचआरसी की बैठक में भी एर्दोगन ने कहा था कि कश्मीर का मुद्दा सुलझाना चाहिए। इसपर भारत ने दो टूक जवाब देते हुए कहा था कि वह हमारे आंतरिक मामलों से दूरी बनाए रखें। बीते साल यूएन जनरल असेंबली की बैठक में उन्होंने कहा कि यह समस्या लंबे समय से चली आ रही है और दोनों देशों को मिलकर इसे सुलझा लेना चाहिए।

तुर्किए का कहना था कि कश्मीर में आर्टिकल 370 हटने के बाद माहौल खराब हो गया। उन्होंने कहा था कश्मीर में 80 लाख से ज्यादा लोग कैद हैं जिन्हें राज्य से बाहर जाने की परमिशन नहीं है। उसने भारत के खिलाफ जाकर यूएनजीए में कश्मीर  के मुद्दे पर पाकिस्तान के साथ वोट किया था। बता दें कि जी20 सम्मेलन के दौरान एर्दोगन और पीएम मोदी  के बीत द्विपक्षीय बातचीत हुई जिसमें व्यापार औ अन्य सहयोगों पर चर्चा हुई थी। एर्दोगन से पीएम मोदी और भारत की तारीप कर र हे थे। उन्होंने यूएनएससी में भारत की स्थायी सदस्यता का समर्थन किया था।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button