मालदीव के नए राष्ट्रपति का चीनी कनेक्शन; भारत की गहरी टेंशन?

माले

मालदीव में शनिवार को हुए राष्ट्रपति चुनाव में मोहम्मद मुइज्जू ने जीत हासिल की है। मालदीव के ये चुनाव परिणाम भारत को टेंशन में डाल सकते हैं। क्योंकि मुइज्जू चीन समर्थक माने जाते हैं। उन्होंने निवर्तमान राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह को करारी शिकस्त दी। इससे पहले 2018 में सोलिह ने मुइज्जू की पार्टी के नेता और पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल यामीन को हराकर सत्ता हासिल की थी। अब्दुल यामीन पर बड़े पैमाने पर चीनी ऋण लेने और भारत की उपेक्षा करने के आरोप थे। भ्रष्टाचार के आरोप में वह पहले से जेल में बंद हैं। मुइज्जू ने राष्ट्रपति बनने के बाद पहली प्रतिक्रिया में यामीन की रिहाई के आदेश दिए। मुइज्जू वही नेता हैं, जिन्होंने पिछले साल चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के अधिकारियों के साथ एक बैठक में कहा था कि उनकी वापसी "दोनों देशों के बीच मजबूत संबंधों का एक नया अध्याय लिखेगी"। चीन को मालदीव के इलेक्शन परिणामों की प्रतिक्षा थी। मोहम्मद मुइज्जू की जीत ने चीन को मालदीव पर कूटनीतिक सफलता दिलाई है। उन्होंने अंतिम मुकाबले में 54.06 प्रतिशत वोट हासिल किए, जिससे निवर्तमान राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह को आधी रात से कुछ देर पहले हार स्वीकार करनी पड़ी।

मुइज्जू का जीतना चिंता कैसे
राष्ट्रपति का चुनाव जीतने से पहले मुइज्जू मालदीव के माले शहर के मेयर हैं। इस दौरान वह चीन के साथ गहरे संबंधों की कई बार वकालत कर चुके हैं। पिछले साल चीनी नेताओं के साथ एक बैठक में उन्होंने कहा था कि अगर उनकी पार्टी सत्ता में वापसी करती है तो वे दोनों देशों के बीच मजबूत संबंधों का नया अध्याय लिखेंगे। मुइज्जू की पार्टी, पीपुल्स नेशनल कांग्रेस ने चुनाव प्रचार के दौरान सोलिह पर भारतीय हितों को जोर देने आरोप लगाया था। वह अपने गुरु और पूर्व राष्ट्रपति यामीन की तरह चीनी हितों को बढ़ावा देने और भारत के साथ संबंधों को सीमित करने के पक्षधर रहे हैं। जबकि, सोलिह के मुताबिक, मालदीव में भारतीय सेना की मौजूदगी केवल दोनों सरकारों के बीच डॉकयार्ड निर्माण का समझौता भर है। इससे मालदीव की समप्रभुता पर कुछ प्रभाव नहीं पड़ेगा।
भारत की बढ़ाएंगे टेंशन?
चुनाव प्रचार और मेयर रहने के दौरान हालांकि मुइज्जू भारत के खिलाफ बयानबाजी जरूर देते रहे हैं लेकिन, हकीकत यह है कि अब सत्ता संभालने के दौरान वह भारत की अनदेखी नहीं कर सकते। भारत को नजरअंदाज कर अपनी विदेश नीति पर आगे बढ़ना उन्हें नुकसान दे सकता है। हालांकि यह संभावना ज्यादा है कि वह भारत की अपेक्षा चीनी परियोजनाओं को ज्यादा हित और तवज्जो दें। बता दें कि मालदीव पूर्व और पश्चिम के बीच मुख्य शिपिंग मार्ग पर स्थित हिंद महासागर में 1,200 मूंगा द्वीपों से बना देश है।
 

चीन की दोस्त मुइज्जू की पार्टी
45 वर्षीय मुइज्जू उस पार्टी का नेतृत्व करते हैं, जिसने मालदीव में सत्ता संभालने के दौरान चीनी ऋणों की आमद की अध्यक्षता की थी। 2023 का मालदीव चुनाव भारत और चीन दोनों देशों के लिए काफी अहम था। अल जजीरा के मुताबिक, मौजूदा राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह को 46% वोट मिले थे और मुइज्जू ने 18,000 से अधिक वोटों से जीत हासिल की थी।
 

पीएम मोदी ने दी बधाई
पीएम नरेंद्र मोदी ने मालदीव के नए राष्ट्रपति बनने पर मोहम्मद मुइज्जू को बधाई दी है। X पर अपने संदेश में पीएम मोदी ने कहा, "मोहम्मद मुइज्जू को मालदीव का राष्ट्रपति बनने पर बधाई एवं शुभकामनाएं। भारत मालदीव  के साथ द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने और हिंद महासागर क्षेत्र में हमारे समग्र सहयोग को बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है।
 

जेल में मुइज्जू के गुरु और पूर्व राष्ट्रपति
मुइ्जजू के पहले उनकी पार्टी के नेता अब्दुला यामीन ने 2013 में सत्ता संभाली थी। अपने कार्यकाल के दौरान उन पर व्यापक भ्रष्टाचार और मानवाधिकारों के उल्लंघन के ढेरों आरोप लगे। एक अन्य मुद्दा सड़कों, पुलों और हवाई अड्डों जैसे सार्वजनिक बुनियादी ढांचे के निर्माण का था, जिसमें उन्होंने भारत के ऑफर को ठुकराकर चीनी निवेश की तरफ रुख किया। जिसके परिणामस्वरूप मालदीव चीनी ऋण में दबता चला गया। साल 2018 में यही मु्द्दे उनकी हार का कारण भी बने और इब्राहिम सोलिह ने बड़ी जीत हासिल की थी।
 

राष्ट्रपति बनते ही यामीन की आजादी का आह्वान
प्रचंड जीत के बाद, मालदीव के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ने अपनी पार्टी के मुख्यालय में एक संक्षिप्त बयान दिया। जिसमें उन सभी को धन्यवाद दिया और पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन को रिहा करने का आह्वान किया, जो भ्रष्टाचार के आरोप में 11 साल की जेल की सजा काट रहे हैं। अल जज़ीरा ने उनके बयान के हवाले से कहा, "आज का यह परिणाम हमारे देश के लिए बेहतर भविष्य बनाने और हमारे राष्ट्र की संप्रभुता सुनिश्चित करने के हमारे प्रयास में एक बड़ा प्रोत्साहन है।" मुइज्जू ने कहा, "हमारे नेता यामीन को रिहा किया जाना चाहिए।" “राष्ट्रपति के पास यामीन को गृह कारावास में स्थानांतरित करने की शक्ति है। और मेरा मानना ​​है कि ऐसा करना, हमारे देश के हित में उठाया जा सकने वाला सबसे अच्छा कदम है।''

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