एक देश-एक चुनाव 2029 तक लागू हो सकता है:

प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व वाली NDA सरकार ने रविवार को अपने तीसरे कार्यकाल के 100 दिन पूरे कर लिए। न्यूज एजेंसी PTI ने सूत्रों के हवाले से बताया कि मोदी सरकार 2029 तक देश में लोकसभा के साथ विधानसभा चुनाव, यानी ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ करवा सकती है। भाजपा के घोषणा पत्र में भी इसका जिक्र है।

15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस पर लालकिले से दिए अपनी स्पीच में भी प्रधानमंत्री ने वन नेशन-वन इलेक्शन की वकालत की थी। उन्होंने कहा था कि बार-बार चुनाव देश की प्रगति में बाधा पैदा कर रहे हैं।

वन नेशन वन इलेक्शन पर विचार के लिए बनाई गई पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली कमेटी ने 14 मार्च को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी। रिपोर्ट 18 हजार 626 पन्नों की है।

पैनल का गठन 2 सितंबर 2023 को किया गया था। यह रिपोर्ट स्टेकहोल्डर्स-एक्सपर्ट्स से चर्चा के बाद 191 दिन की रिसर्च का नतीजा है। कमेटी ने सभी विधानसभाओं का कार्यकाल 2029 तक करने का सुझाव दिया है।

कमेटी में 8 सदस्य, सितंबर 2023 में बनी थी

पूर्व राष्ट्रपति कोविंद की अगुआई में 8 मेंबर की कमेटी पिछले साल 2 सितंबर को बनी थी। 23 सितंबर 2023 को दिल्ली के जोधपुर ऑफिसर्स हॉस्टल में वन नेशन वन इलेक्शन कमेटी की पहली बैठक हुई थी। इसमें पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, गृह मंत्री अमित शाह और पूर्व सांसद गुलाम नबी आजाद समेत 8 मेंबर हैं। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल कमेटी के स्पेशल मेंबर बनाए गए हैं।

अभी ऐसी है वन नेशन-वन इलेक्शन की संभावना

एक देश-एक चुनाव लागू करने के लिए कई राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल घटेगा। जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव 2023 के आखिर में हुए हैं, उनका कार्यकाल बढ़ाया जा सकता है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि विधि आयोग के प्रस्ताव पर सभी दल सहमत हुए तो यह 2029 से ही लागू होगा। साथ ही इसके लिए दिसंबर 2026 तक 25 राज्यों में विधानसभा चुनाव कराने होंगे।

क्या है वन नेशन वन इलेक्शन

भारत में फिलहाल राज्यों के विधानसभा और देश के लोकसभा चुनाव अलग-अलग समय पर होते हैं। वन नेशन वन इलेक्शन का मतलब है कि पूरे देश में एक साथ ही लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव हों। यानी मतदाता लोकसभा और राज्य के विधानसभाओं के सदस्यों को चुनने के लिए एक ही दिन, एक ही समय पर या चरणबद्ध तरीके से अपना वोट डालेंगे।

आजादी के बाद 1952, 1957, 1962 और 1967 में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ ही हुए थे, लेकिन 1968 और 1969 में कई विधानसभाएं समय से पहले ही भंग कर दी गईं। उसके बाद 1970 में लोकसभा भी भंग कर दी गई। इस वजह से एक देश-एक चुनाव की परंपरा टूट गई।

क्या है वन नेशन वन इलेक्शन

भारत में फिलहाल राज्यों के विधानसभा और देश के लोकसभा चुनाव अलग-अलग समय पर होते हैं। वन नेशन वन इलेक्शन का मतलब है कि पूरे देश में एक साथ ही लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव हों। यानी मतदाता लोकसभा और राज्य के विधानसभाओं के सदस्यों को चुनने के लिए एक ही दिन, एक ही समय पर या चरणबद्ध तरीके से अपना वोट डालेंगे।

आजादी के बाद 1952, 1957, 1962 और 1967 में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ ही हुए थे, लेकिन 1968 और 1969 में कई विधानसभाएं समय से पहले ही भंग कर दी गईं। उसके बाद 1970 में लोकसभा भी भंग कर दी गई। इस वजह से एक देश-एक चुनाव की परंपरा टूट गई।

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