जम्मू-कश्मीर को स्टेटहुड के प्रस्ताव को उमर कैबिनेट की मंजूरी

जम्मू-कश्मीर के राज्य के दर्जे की बहाली के लिए मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की कैबिनेट ने प्रस्ताव पास कर दिया है। गुरुवार को हुई कैबिनेट मीटिंग में यह फैसला लिया गया। सूत्रों के मुताबिक, उमर 2 दिन में दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे और उन्हें प्रस्ताव का ड्राफ्ट सौंपेंगे। उमर ने विधानसभा चुनाव के दौरान भी कहा था कि कैबिनेट की पहली मीटिंग में ही जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल करने के प्रस्ताव को मंजूर किया जाएगा। 16 अक्टूबर को CM पद की शपथ लेने के बाद अगले दिन ही उन्होंने प्रस्ताव पास किया। कैबिनेट की मीटिंग में डिप्टी CM सुरेंद्र चौधरी, मंत्री सकीना मसूद इटू, जावेद अहमद राणा, जाविद अहमद डार और सतीश शर्मा भी मौजूद थे। दरअसल, केंद्र सरकार ने 5 अगस्त, 2019 को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के साथ ही प्रदेश का पूर्ण राज्य का दर्जा खत्म करते हुए उसे दो यूनियन टेरिटरी (जम्मू-कश्मीर और लद्दाख) में बांट दिया था।

कैबिनेट से मंजूरी के बाद की कानूनी प्रक्रिया… 3 पॉइंट

  1. प्रस्ताव को उमर कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद इसे उपराज्यपाल के माध्यम से केंद्र सरकार को भेजा जाएगा। आगे का निर्णय केंद्र सरकार को करना है। पूर्ण राज्य के दर्जे के लिए केंद्र सरकार ही जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम में बदलाव की प्रक्रिया कर सकती है।
  2. जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 के तहत जम्मू-कश्मीर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में पुर्नगठित किया गया था। इसलिए पूर्ण राज्य के दर्जे के लिए संसद में एक कानून पारित कर पुनर्गठन अधिनियम में बदलाव करना होगा। यह बदलाव संविधान की धारा 3 और 4 के तहत होंगे।
  3. राज्य का दर्जा देने के लिए लोकसभा और राज्यसभा में नए कानूनी बदलावों का अनुमोदन जरूरी होगा, यानी संसद से इस प्रस्ताव को मंजूरी मिलना जरूरी है। मंजूरी के बाद इसे राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा। उनकी मंजूरी के बाद जिस दिन राष्ट्रपति इस कानूनी बदलाव की अधिसूचना जारी करेंगे, उसी तारीख से जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा मिल जाएगा।

पूर्ण राज्य का दर्जा के बाद जम्मू-कश्मीर में क्या-क्या बदलेगा?

  • राज्य की विधानसभा को पब्लिक ऑर्डर यानी सार्वजनिक व्यवस्था और समवर्ती सूची के मामलों में कानून बनाने के अधिकार मिलेंगे।
  • सरकार कोई वित्तीय बिल पेश करती है तो इसके लिए उसे उपराज्यपाल की मंजूरी लेने की जरूरत नहीं होगी।
  • एंटी करप्शन ब्यूरो और अखिल भारतीय सेवाओं पर राज्य सरकार का पूरा नियंत्रण हो जाएगा। यानी राज्य में अधिकारियों की ट्रांसफर और पोस्टिंग राज्य की सरकार के हिसाब से होगी, उस पर उपराज्यपाल का नियंत्रण नहीं रहेगा।
  • आर्टिकल 286, 287, 288 और 304 में बदलाव से व्यापार, टैक्स और वाणिज्य के मामलों में राज्य सरकार को सभी अधिकार हासिल हो जाएंगे।
  • केंद्र शासित प्रदेश में विधायकों की संख्या के 10% मंत्री बनाए जा सकते हैं, राज्य का दर्जा बहाल होने से मंत्रियों की संख्या का यह बंधन भी खत्म हो जाएगा और विधायकों की संख्या के 15% तक विधायक मंत्री बनाए जा सकेंगे।
  • इसके अलावा जेल के कैदियों की रिहाई और नेशनल कॉन्फ्रेंस के बाकी चुनावी वादे पूरे करने वाली योजनाओं को पूरा करने में राज्य सरकार को केंद्र से ज्यादा अधिकार हासिल होंगे।

स्टेटहुड का मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा

जम्मू-कश्मीर स्टेटहुड दिलाने की मांग की याचिका सुप्रीम कोर्ट में भी लगी है। जम्मू-कश्मीर UT को दो महीने में पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को तैयार हो गया है। एडवोकेट गोपाल शंकर नारायण ने जहूर अहमद भट और खुर्शीद अहमद मलिक की ओर से यह याचिका लगाई है। CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि वे इस पर सुनवाई करेंगे।

याचिका में कहा गया है कि अनुच्छेद 370 पर सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जम्मू-कश्मीर को जल्द ही पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने का आश्वासन दिया था। हालांकि मामले में फैसला आने के 10 महीने बाद भी केंद्र सरकार ने अब तक इस पर कोई कदम नहीं उठाया। अनुच्छेद 370 हटाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला 11 अगस्त, 2023 को आया था।

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