सहारा शहर पर कर्मचारियों का कब्‍जा, 11 साल की बकाया सैलरी, पीएफ न मिलने तक हटने से किया इनकार

लखनऊ: गोमतीनगर स्थित सहारा शहर में चौथे दिन रविवार को भी कर्मचारियों का कब्जा बरकरार रहा। कर्मचारियों ने बकाया सैलरी, पीएफ और ग्रैच्युटी के भुगतान के बगैर सहारा शहर खाली करने से इनकार कर दिया है। इससे पहले शनिवार शाम सहारा समूह प्रबंधन के प्रतिनिधि वार्ता करने पहुंचे और जल्द बकाया भुगतान का आश्वासन देकर कर्मचारियों से कब्जा छोड़ने की अपील की। इस पर कर्मचारियों ने लिखित आश्वासन मांगा, लेकिन प्रबंधन ने इससे इनकार कर दिया।

ऐसे में कर्मचारी रविवार को भी सहारा शहर में डटे रहे। सहारा शहर के करीब 400 कर्मचारी साल 2014 से बकाया वेतन, पीएफ और ग्रैच्युटी की मांग कर रहे हैं। कर्मचारी एसएन मिश्रा ने बताया कि प्रबंधन ने सिर्फ एक महीने की सैलरी देने का वादा किया है, लेकिन बीते 11 साल का बकाया देने को तैयार नहीं है। इस कारण दो घंटे की बैठक बेनतीजा रही।

कर्मचारियों का आरोप है कि सहारा समूह प्रबंधन के प्रतिनिधि जब भी वार्ता करने आते हैं तो साथ भारी पुलिस बल होता है। इससे साफ जाहिर हो रहा है कि शासन-प्रशासन की सहारा समूह प्रबंधन से मिलीभगत है।

स्क्रैप बेचने की मांग

का कहना है कि सहारा शहर में मौजूदा वक्त में करीब 50 करोड़ रुपये कीमत का स्क्रैप और सामान पड़ा है। इन्हें बेचकर हर कर्मचारी को तत्कालिक रूप में पांच-पांच लाख रुपये दिए जा सकते हैं, लेकिन प्रबंधन के बड़े अफसर चोरी-छिपे यहां रखे महंगे सामान बेच रहे हैं। प्रबंधन की यह मनमानी रोकने के लिए सभी गेट पर कर्मचारी पहरा दे रहे है।

आज हो सकती है सीलिंग

सहारा शहर खाली करने के लिए नगर निगम ने शुक्रवार तक का वक्त दिया था। बाद में कर्मचारियों की मांग पर यह मोहलत दो दिन के लिए बढ़ाई गई थी। यह मियाद भी रविवार को पूरा हो गई। ऐसे में नगर निगम की टीम सोमवार को सहारा शहर सील कर सकती है। इसके लिए पुलिस से भी अतिरिक्त फोर्स मागी गई है।

सीएम से हस्तक्षेप की मांग

सहारा शहर के कर्मचारियों ने बकाया भुगतान के लिए सीएम योगी आदित्यनाथ से हस्तक्षेप की मांग की है। कर्मचारियों का कहना है कि अचानक से सैकड़ों कर्मचारी सड़क पर आ गए हैं। सहारा समूह ने कर्मचारियों से पल्ला झाड़ लिया है। ऐसे में सरकार को सहारा प्रबंधन पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि कर्मचारियों और उनके परिवारीजनों का भविष्य सुरक्षित रहे।

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