वांगचुक अरेस्ट केस- SC में 14 अक्टूबर तक सुनवाई टली

सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को जोधपुर जेल में बंद सोशल एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक से जुड़ी हेबियस कार्पस (बंदी प्रत्यक्षीकरण) की याचिका पर सुनवाई हुई। जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस एनवी अंजारिया की बेंच ने 14 अक्टूबर तक के लिए सुनवाई को टाला है।
कोर्ट में वांगचुक के वकील कपिल सिब्बल ने दलील में कहा- सोनम वांगचुक को जिन कारणों से हिरासत में लिया गया, उसकी कॉपी परिवार को नहीं सौंपी गई है।
इस पर केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा- हिरासत के कारण हिरासत में लिए गए व्यक्ति (वांगचुक) को पहले ही दिए जा चुके हैं। इसकी कॉपी वांगचुक की पत्नी को देने पर विचार किया जाएगा।
दरअसल, 24 सितंबर को लेह में हुई हिंसा भड़काने के आरोप में 26 सितंबर को राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत 26 वांगचुक को पुलिस ने हिरासत में लिया गया था। तब से वे जोधपुर जेल में हैं।
2 अक्टूबर को वांगचुक की पत्नी ने गीतांजलि अंगमो ने सुप्रीम कोर्ट में हेबियस कार्पस (बंदी प्रत्यक्षीकरण) याचिका दायर की थी। अनुच्छेद 32 के तहत दावा किया था कि उनके पति की गिरफ्तारी अवैध है।
2 अक्टूबर : गीतांजलि बोलीं- एक हफ्ता बीता, डिटेंशन ऑर्डर कॉपी नहीं मिली
गीतांजलि ने 2 अक्टूबर को X पोस्ट में लिखा था- 7 दिन बाद भी मुझे सोनम की सेहत, हालत और नजरबंदी के कारणों के बारे में कोई जानकारी नहीं है। गीतांजलि ने वांगचुक के खिलाफ NSA लगाने के फैसले पर भी सवाल उठाया था।
अंगमो ने कहा था कि उन्हें अभी तक हिरासत आदेश की कॉपी नहीं मिली है, जो नियमों का उल्लंघन है। दरअसल, अंगमो ने वकील सर्वम ऋतम खरे के जरिए दायर याचिका में वांगचुक की हिरासत को चुनौती दी है।
अंगमो ने ANI को बताया था कि दिल्ली में हर जगह मेरा पीछा किया जा रहा है। मैं जहां भी जाती हूं, एक कार मेरा पीछा करती है। हमारे साथ मिलकर काम करने वाले एक कर्मचारी को हिरासत में लिया गया है। उसे पीटा जा रहा है और मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है।
अब जानिए क्या होती है हैबियस कार्पस ?
हैबियस कार्पस लैटिन भाषा का शब्द है, इसका मतलब होता है- शरीर सामने लाओ। यानी किसी व्यक्ति को गैर-कानूनी ढंग से गिरफ्तार किया है, हिरासत में रखा है, तो अदालत उस व्यक्ति को तुरंत कोर्ट के सामने पेश करने का आदेश दे सकती है।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 32 और 226 के तहत यह अधिकार हर नागरिक को मिला है। कोई भी व्यक्ति, उसका परिवार/दोस्त हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में हैबियस कॉर्पस रिट दायर कर सकता है। आदेश के बाद पुलिस को पूरी जानकारी कोर्ट के सामने रखनी होती है।
अंगमो ने PM, प्रेसिडेंट और गृह मंत्री को लेटर लिखा
अंगमो ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, गृह मंत्री अमित शाह, लद्दाख के उपराज्यपाल कविंदर गुप्ता, कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल और लेह जिला कलेक्टर को लेटर लिखा था। जिसकी कॉपी उन्होंने X पर शेयर की थी।
अंगमो का आरोप है कि वांगचुक को शांत कराने के लिए पिछले महीने से विच हंट शुरू किया गया है। अंगमो ने कहा था कि वांगचुक कभी भी किसी के लिए खतरा नहीं हो सकते, अपने राष्ट्र की तो बात ही छोड़ दें।
वांगचुक की मांग– लेह हिंसा की न्यायिक जांच हो
सोनम वांगचुक ने लेह हिंसा के दौरान हुई 4 लोगों की मौत की स्वतंत्र न्यायिक जांच की मांग की है। उन्होंने जोधपुर सेंट्रल जेल से एक पत्र लिखा है, जो रविवार को जारी किया गया। वांगचुक ने लिखा-

जिन लोगों ने अपनी जान गंवाई, उनके परिवारों के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं हैं। मैं घायलों और गिरफ्तार लोगों के लिए प्रार्थना करता हूं। 4 लोगों की मौत की जांच एक स्वतंत्र न्यायिक आयोग से होनी चाहिए, जब तक ऐसा नहीं होता, मैं जेल में ही रहूंगा।
यह लेटर एडवोकेट मुस्तफा हाजी ने साझा किया है, जो लेह एपेक्स बॉडी (LAB) के कानूनी सलाहकार हैं। उन्होंने और वांगचुक के भाई भाई त्सेतन दोरजे ले ने 4 अक्टूबर को जेल में वांगचुक से मुलाकात की थी।