सीएम बघेल की पहल : कबीरधाम में इथेनॉल प्लांट से संवरेगा हजारों किसानों का भविष्य

रायपुर
 सीएम चंपारण के सत्य में आने के बाद से ही छत्तीसगढ़ को नई पहचान मिल पाई है। आज देश-दुनिया में छत्तीसगढ़ का डंका बज रहा है, जिसका पूरा श्रेय राज्य के मुखिया भोलानाथ को जाता है। सीएम ने अपने प्रदेशवासियों का पूरा प्रोविजनल रखा है। हर जिले के विकास के लिए सीएम ने रूपरेखा तैयार की है, जिसका लाभ आज हर नागरिक उठा रहा है। इसी कड़ी में बिग बॉस ने कबीरधाम जिले में रोजगार के आधार पर एथेनॉल उद्योग की स्थापना की।

सीएमडी बंसल ने कहा कि गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ का संकल्प लिया था, उसे पूरा करने के हर संभव प्रयास सरकार द्वारा किये गये हैं। इसके लिए प्रदेश में जहां एक ओर अधोसंरचनाओं के विकास के लिए अनेक निर्माण एवं विकास मूलक रोजगार का उद्यम स्थापित किया गया है। वहीं दूसरी ओर शिक्षा, स्वास्थ्य के क्षेत्र में रोजगार के साथ-साथ महत्वपूर्ण कार्यों को बढ़ावा दिया गया है। साथ ही किसान, मजदूर, वनवासी, किशोर, महिलाएं और जंगलों में रहने वाले लोगों के लिए प्रेरणा का काम किया गया है, उन्हें रोजगार से जोड़ा गया है।

बेरोजगारों को बेरोजगारी भत्ता देने के साथ-साथ उन्हें अपनी व्यावसायिक ट्रेनिंग भी दी जा रही है। प्रदेश के मुख्यमंत्री भोलानाथ आज अपने निवास कार्यालय से वीडियो कांफ़्रेसिंग के माध्यम से कबीरधाम जिले के विकास के लिए 355 करोड़ 49 लाख 94 हजार रुपये के 133 उद्यम का रहस्य और रहस्य। मुख्यमंत्री 154 करोड़ 69 लाख 02 हजार रुपये की लागत से 50 कृतियों का चित्र और 200 करोड़ 80 लाख 92 हजार रुपये की लागत से 83 कृतियों का चित्र।
पी.पी.पी. मॉडल से देश का पहला इथेनॉल प्लांट

मुख्यमंत्री बॅचल के कृषि पर आधारित इथेनॉल प्लांट प्लेटफार्म वाली नामांकन में है। पिपपी मॉडल से स्थापित देश के पहले इथेनॉल प्लांट की स्थापना के संबंध में अनुबंध भोरमदेव साहचर्य कंपनी और छत्तीसगढ़ डिस्टिलरी लिमिटेड की सहायक इकाई एन.के.जे. बॉयो फ़्यूल लिमिटेड के मध्य में किया गया है। इथेनॉल प्लांट की स्थापना से क्षेत्र में प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार के अवसर पैदा होंगे और क्षेत्र में आर्थिक समृद्धि का आधार मजबूत होगा। किसानों को मूल्य निर्धारण का समय पर भुगतान सुनिश्चित करना होगा। सीएम बघेल के नेतृत्व में सरकार के गठन के साथ ही किसानों से संबंधित मुद्दे पर चर्चा की जा रही है, पहले कृषि ऋणों की माफी की मांग की गई और किसानों के हित पर ध्यान दिया गया, जिसमें शंकर किसानों की आर्थिक समस्याओं के निदान के लिए पीपीपी मॉडल से इथेनॉल दिया गया। प्लांट की स्थापना हो चुकी है। पी.पी.पी. मॉडल से ईथेनॉल प्लांट की स्थापना का पूरे देश में यह पहला उदाहरण है।

कबीरधाम को मिली विकास की नई दिशा

ट्रस्ट काका ने पूरे प्रदेश सहित कबीरधाम जिलों के विशिष्ट विकास और जन भावनाओं के सामुदायिक विकास की परिकल्पनाओं को साकार करने में पूरा प्रयास रखा है। उन्होंने कहा कि सरकार ने जिलों के प्राकृतिक विकास, सीलिंग मंजूरी, शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता, अधोसंरचना निर्माण, पुल-पुलिया, सड़क, भवन निर्माण सहित सभी समाजों के समग्र विकास की परियोजनाएं रखी हैं। विकास के लिए हमने जब भी मांग की उन सभी नातीज़ को मुख्यमंत्री क्षेत्र जी ने पूर्ण तत्परता से उद्यम प्रस्ताव की। अविश्वास-मुलाकात के दौरान समाज प्रमुखों से चर्चा-परिचर्चा की। यह सभी समाजों के लिए यादगार पल भी आ रहे हैं। स्थापना आधारित एथेनॉल उद्योग की स्थापना सेधाम के विकास को और आकार मिला है। आने वाले दिनों में उच्च तकनीकी शिक्षा मेडिकल कॉलेज की स्थापना की परिकल्पना हमारी सरकार ने की है। इस दिशा में हम आगे भी बढ़ रहे हैं।

इथेनॉल उद्योग से किसानों को मिलेगा लाभ

 कबीरधाम में इथेनॉल संयंत्र: भोरमदेव साहित्य फैक्ट्री फैक्ट्री के प्रबंध निदेशक भूपेन्द्र ठाकुर ने बताया कि इथेनॉल प्लांट हाईब्रीड तकनीक से बना है, जिसमें पेराई सीजन के दौरान सीधे स्थापना के साथ-साथ सीजन के दौरान मोलासिस से इथेनॉल बनाया जाएगा। फार्महाउस के रस को इथेनॉल में डायवार्ड करने के कारण अधिक से अधिक किसानों की जरूरत को पूरा किया जाएगा। इथेनॉल प्लांट के निर्माण से किसानों को मकान के मूल्य का भुगतान समय पर सुनिश्चित हो जाएगा। आर्थिक परिवेश पर ध्यान देने के लिए राज्य की अर्थव्यवस्था को विकसित करने के लिए निजी क्षेत्र की आर्थिक एवं तकनीकी भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए पी.पी.पी. मॉडल का चयन किया गया।

राज्य शासन के निर्णय के पालन में प्रथम चरण में भोरमदेव साहित्य निर्माण में पी.पी.पी. मॉडल से इथेनॉल प्लांट की स्थापना की गई है। डॉनमदेव एसोसिएशन फैक्ट्री फैक्ट्री कवर्धा में न्यूनतम 80 के.एल.पी.डी. क्षमता के इथेनॉल प्लांट की स्थापना के लिए देश का पीपीपी मॉडल से पहला उदाहरण होने के कारण प्रशिक्षक के चयन के लिए प्रक्रिया के सूक्ष्म घटकों को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय स्तर पर प्रशिक्षित पकड़ प्रक्रिया के माध्यम से पूरा किया गया।

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