वित्त मंत्रालय को भरोसा, जोखिमों के बावजूद FY24 में 6.5 प्रतिशत रह सकती है वृद्धि दर

नई दिल्ली
 चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में आर्थिक गतिविधियों में नरमी की आशंका को दरकिनार करते हुए वित्त मंत्रालय ने भरोसा जताया कि वित्त वर्ष 2024 में देश सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 6.5 फीसदी की वृद्धि दर हासिल कर लेगा।

मगर मंत्रालय ने वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी और अगस्त में मॉनसूनी बारिश की कमी के खरीफ एवं रबी फसलों पर असर जैसे जोखिमों का जिक्र भी किया। उसके मुताबिक इन जोखिमों का आकलन करने की जरूरत है।

अपनी मासिक आर्थिक समीक्षा में वित्त मंत्रालय ने कहा कि कंपनियों के मुनाफे में सुधार, निजी क्षेत्र के पूंजी निर्माण, बैंक उधारी तथा निर्माण क्षेत्र में गतिविधियों में वृद्धि ने नरमी का जोखिम कुछ हद तक कम कर दिया है।

रिपोर्ट में कहा गया है, 'वित्त वर्ष 2024 के लिए देश की आर्थिक तस्वीर उजली बनी हुई है। आर्थिक गतिविधियों ने अपनी रफ्तार बरकरार रखी है। उच्च आवृत्ति वाले संकेतकों से पता चलता है कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में भी अर्थव्यवस्था की चाल बेहतर है। यह सब देखकर हमें पूरा भरोसा है कि जोखिमों के बावजूद चालू वित्त वर्ष में हम 6.5 फीसदी का वास्तविक जीडीपी वृद्धि का अनुमान हासिल कर लेंगे।
चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 7.8 फीसदी रही थी। इसके बाद कई अर्थशास्त्रियों ने पूरे वित्त वर्ष के लिए अपना अनुमान बढ़ाकर 6.5 फीसदी के आसपास कर दिया। रिपोर्ट के अनुसार देश में उपभोग की मजबूत मांग और निवेश ने पहली तिमाही में जीडीपी वृद्धि को बढ़ावा दिया है।

रिपोर्ट में कहा गया है, 'शहरी बेरोजगारी दर में लगातार गिरावट ने अर्थव्यवस्था में निजी खपत को बढ़ावा देने में योगदान किया है। वस्तुओं और सेवाओं की मांग बढऩे से विनिर्माण और सेवा दोनों क्षेत्रों के उत्पादन और मूल्यवर्धन में वित्त वर्ष 2024 की पहली तिमाही में जबरदस्त इजाफा हुआ है।

मासिक समीक्षा में कहा गया है कि अगस्त में मॉनसूनी बारिश में कमी रही थी मगर उसकी कुछ हद तक भरपाई सितंबर में हो गई है और जिन खाद्य पदार्थों के दाम बढऩे की वजह से जुलाई में मुद्रास्फीति 7 फीसदी से ऊपर पहुंच गई थी, अब उनके दाम घट रहे हैं।

वित्त मंत्री ने कहा कि दूसरी तिमाही के लिए अग्रिम कर भुगतान के आंकड़ों से साफ पता चलता है कि निजी क्षेत्र की सेहत अच्छी है और वहां से निवेश हो रहा है। समीक्षा में कहा गया है कि बहीखाते को पुनर्गठित करने से कंपनियां अपना निवेश बढ़ाने और आर्थिक चुनौतियों के झटकों से निपटने के लिए मजबूत स्थिति में पहुंच गई हैं। रिपोर्ट कहती है, 'उद्योग जगत के दमदार प्रदर्शन से भारत की वृद्धि रफ्तार में निवेशकों का भरोसा बढ़ा है।

वित्त मंत्रालय ने कहा कि वैश्विक बाजार में गिरावट के बीच शेयर बाजार में नरमी का जोखिम हमेशा बना रहता है। समीक्षा में कहा गया है, 'तेल की कीमतों में तेजी एक बड़ी चिंता है। हालांकि अभी संकट का कोई अलार्म नहीं दिख रहा है मगर अमेरिका में 10 वर्षीय बॉन्ड का प्रतिफल 4.3 फीसदी से अधिक हो गया है। एसऐंडपी 500 सूचकांक भी अपने सर्वकालिक उच्च स्तर से अधिक दूर नहीं है। मगर मंत्रालय को भरोसा है कि भारत की आर्थिक गतिविधियों पर इन घटनाओं का प्रभाव अपेक्षाकृत कम होना चाहिए।

रिपोर्ट के मुताबिक तमाम संकेतकों से पता चलता है कि बैंकिंग क्षेत्र में गैर-निष्पादित आस्तियों (एनपीए) में गिरावट, पूंजी बनाम जोखिम वाली परिसंपत्तियों के अनुपात (सीआरएआर) में सुधार, परिसंपत्तियों पर रिटर्न (आरओए) में बढ़ोतरी और इक्विटी पर रिटर्न में इजाफे के कारण इस क्षेत्र की मजबूती बढ़ रही है।

 

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button