ट्रूडो राज में कैसे हिंदुओं के लिए ‘नरक’ बन गया कनाडा?, मंदिर तोड़े, धमकियां दीं

नई दिल्ली
कनाडा में पीएम जस्टिन ट्रूडो के रवैये की वजह से यहां हिंदुओं के लिए बड़ा खतरा पैदा हो गया है। ट्रूडो की सरकार खालिस्तानियों का खुलकर समर्थन करती है। वहीं खालिस्तानी आतंकी हिंदुओं को धमकी देते रहते हैं। इसके अलावा वे आए दिन मंदिरों में हमले करके तोड़फोड़ करते हैं। निज्जर की हत्या को लेकर भारत और कनाडा में तनाव के बीच खालिस्तानियों ने हिंदुओं को देश छोड़ने तक की धमकी दे दी। हालांकि कनाडा सरकार ने सफाई देते हुए कहा कि इस तरह की धमकियां घृणा फैलाने वाली हैं।

भारतीय खुफिया एजेंसियां भी सतर्क
कनाडा में रहने वाले भारतीयों के हित के लिए भारतीय खुफिया एजेंसियां भी सतर्क हैं। हाल ही में हुई बैठक में कनाडा में बढ़ते चरमपंथ और हिंदू समुदाय के लिए खड़ी हो रही चुनौतियों को लेकर चर्चा की गई। बीते 5-6 साल में किस तरह के कनाडा का माहौल बिगड़ा है और यहां हिंदुओं के लिए खतरा बढ़ गया है, आइए इसपर नजर डालते हैं।

अगर आंकड़ों की बात करें तो 2016 से 2021 के बीच कनाडा में बसने वालों में 18 फीसदी की आबादी भारतीयों की है। वहीं कनाडा की कुल आबादी में 2.1 प्रतिशत सिख और 2.3 फीसदी हिंदू हैं। हाल ही में जब कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो ने हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के लिए बेबुनियाद आरोप भारत पर लगाए तो वहां दो समुदायों के बीच भी तनाव बढ़ गया। हालांकि जस्टिन ट्रूडो के इन आरोपों को राजनीतिक फायदा तलाशने का एक कदम माना जा रहा है।

हिंदू और सिखों को बांटने की कोशिश
सिख फॉर जस्टिस आतंकी  संगठन के चीफ गुरपतवंत सिंह पन्नून ने हाल ही में कनाडा में रहने वाले हिंदुओं को खुली धमकी दी और कहा कि वे भारत लौट जाएं। उसने सोशल मीडिया पर भी वीडियो पोस्ट किया। उसका कहा है कि भारतीय मूल के हिंदू कनाडा के संविधान का सम्मान नहीं करते हैं। उसने कहा कि हिंदू कभी कनाडा के प्रति निष्ठावान नहीं रहे हैं। इसके बाद ट्रूडो के ही पार्टी के सांसद चंद्रा आर्या ने आवाज उठाई और कहा कि कनाडा में रहने वाले बहुत सारे हिंदू डरे हुए हैं। उन्होंने कहा कि खालिस्तानी हिंदू-कनाडाइयों और सिखों को बांटने की कोशिश कर रहे हैं।

निज्जर की हत्या से पहले भी हिंदुओं को धमकाया जाता था
कनाडा में निज्जर की हत्या के बाद भले ही बातें सामने आई हों पर वहां हिंदुओं को डराने और धमकाने का सिलसिला लंबे समय से चला आ रहा है। बीते एकसाल में ही कम से कम एक दर्जन मंदिरों पर हमला हो चुका है। इसी साल में तीन मंदिरों में तोड़फोड़ हुई। अगस्त में लक्ष्मीनारायण मंदिर. ब्रिटिश कोलंबिया को निशाना बनाया गया। यहां खालिस्तानी रेफरेंडम के पोस्टर भी लगाए गए थे। अप्रैल में ओंटारियों के स्वामीनारायण मंदिर में तोड़फोड़ की गई। इसके अलावा ब्रांप्टन के गौरी शंकर मंदिर पर भी हमला किया गया। महात्मा गांधी की प्रतिमा को निशाना बनाया गया। 2022 में शुरु हुए एक पार्क में तोड़फोड़ की गई क्योंकि इसका नाम भगवद्गीता के  नाम पर रखा गया था। इसके अलावा खालिस्तानी अकसर भारत विरोधी रैलियां निकालते रहते हैं। हालांकि पन्नून का वीडियो सामने आने के बाद कनाडा की सरकार को इतना कहना पड़ा कि कनाडा इसका समर्थन नहीं करता है।

खालिस्तानियों का समर्थन करते रहे ट्रूडो
कनाडा के हिंदुओं ने प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो और उनके सहयोगी जगमीत सिंह से इन धमकयों को ध्यान देने को कहा  है। वहीं पन्नून और उसके सहयोगी बाज नहीं आ रहे हैं ओर कह रहे हैं कि जो भी उनकी विचारधारा के साथ नहीं होगा, उसको वे निशाना बनाएंगे। यह सर्वविदित है कि जगमीत सिंह और ट्रूडो खालिस्तानियों का तुष्टीकरण करते रहे हैं। वे खालिस्तानियों की हरकतों को अभिव्यक्ति की आजादी बताते रहे।

मंदिरों के ट्रस्टियों ने भी कनाडा की सरकार से नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि हिंदुओं की हत्या की साजिश होती है, मंदिरों में तोड़फोड़ होती है और सड़कों पर तलवारें लहराई जाती हैं। बहुत सारे हिंदू मंदिरों में सुरक्षा के अतिरिक्त इंतजाम किए गए हैं। चारों ओर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। अब जगमीत सिंह भी पन्नून के वीडियो को गलत बता रहे हैं। हालांकि कनाडा का माहौल हद से ज्यादा खराब हो चुका है। राजनीतिक फायदे की तलाश में आतंकियों को पालने का नतीजा कनाडा में रहने वाले लोगों को भी भुगतना पड़ सकता है।

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