रेलवे के एक कदम से भरा खजाना कमा लिए 2800 करोड़, जानें क्या है नया रूल

नईदिल्ली

भारतीय रेलवे (Indian Railway ने आज से 7 वर्ष पहले बच्चों के यात्रा किराया नियमों (Railways child travel rules) में बदलाव किया था। इस बदलाव से रेलवे की बल्ले-बल्ले हो गई है। भारतीय रेलवे ने पिछले 7 सालों में 2800 करोड़ रुपये से ज्यादा की अतिरिक्त कमाई कर ली है। इस बात की जानकारी एक आरटीआई के माध्यम से सामने आई है। सेंटर फॉर रेलवे इन्फॉर्मेशन सिस्टम्स ने सूचना के अधिकार के अंतर्गत जवाब दिया। जिसमें यह बात साफ़ हुई है कि केवल वित्त वर्ष 2022-23 में रेलवे को नियम में बदलाव करने के कारण 560 करोड़ रुपये की आय प्राप्त हुई है। आइए आपको बताते हैं कि बच्चों के यात्रा किराए (Railways child travel rules) से जुड़ा वो कौन सा नियम है, जिसे बदलने से रेलवे की चांदी हो गई है।

रेलवे ने किया था ये बदलाव

31 मार्च, 2016 को रेल मंत्रालय ने ऐलान किया किया था कि वे पांच साल और 12 साल के बीच उम्र वाले बच्चों (जिन्हें रिजर्व कोच में अलग बर्थ या सीट चाहिए) के लिए पूरा किराया वसूल करेगा। रेलवे ने इस बदले नियम को 21 अप्रैल, 2016 से लागू कर दिया था। सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम के तहत सेंटर फॉर रेलवे इन्फॉर्मेशन सिस्टम्स (सीआरआईएस) से मिले एक जवाब से पता चला है कि बच्‍चों से संबंधित नियम बदलने से बीते 7 वर्षों में रेलवे को 2,800 करोड़ की कमाई हो चुकी है। रेल मंत्रालय के तहत आने वाला सीआरआईएस टिकट और यात्रियों, माल ढुलाई सेवाओं, रेल यातायात नियंत्रण और ऑपरेशन जैसे मुख्य क्षेत्रों में आईटी सॉल्यूशन उपलब्ध कराता है।

पहले ये था नियम

इससे पहले रेलवे 5 से 12 साल के बच्चों के लिए आधा किराया लेकर उन्हें बर्थ देता था। एक अन्य विकल्प के तहत अगर बच्चा अलग बर्थ न लेकर साथ यात्रा कर रहे व्यस्क के बर्थ पर ही सफर करता है, तो भी उसके लिए आधा किराया देना होगा। सीआरआईएस ने बच्चों की दो श्रेणियों के किराया विकल्पों के आधार पर वित्त वर्ष 2016-17 से 2022-23 तक के आंकड़े दिए हैं। सीआरआईएस ने आरटीआई के तहत मांगी गई जानकारी में बताया कि बीते सात सालों में 3.6 करोड़ से ज्यादा बच्चों ने रिजर्व सीट या बर्थ का ऑप्शन चुने बिना आधा किराया देकर सफर किया। वहीं दूसरी ओर, 10 करोड़ से अधिक बच्चों ने अलग बर्थ या सीट का विकल्प चुना और पूरा किराया चुकाया।

 

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