400 रुपये बोरी तक महंगी हो सकती है सीमेंट, निर्माण कार्यों पर पड़ेगा असर

नई दिल्ली
 सीमेंट कंपनियां मांग कम होने के बावजूद कार्टेल बनाकर एक बार फिर एक अक्टूबर से 15 रुपये प्रति बोरी की बढ़ोतरी करने जा रही हैं। कंपनियों ने डीलरों को इसकी सूचना दे दी है। सीमेंट कंपनियों का कहना है कि उत्पादन लागत बढ़ जाने के कारण कीमत बढ़ाने जा रहे हैं। अगस्त तक 310 से 320 रुपये बोरी बिकने वाली सीमेंट की कीमत एक सितंबर को एक साथ 50 रुपये बढ़ा देने के बाद रिटेल में प्रति बोरी 360 रुपये पहुंच गई है। अब कंपनियों द्वारा एक बार फिर बढ़ोतरी से यह बाजार में रिटेल में 400 रुपये बोरी तक पहुंच जाएगी। इसका असर निर्माण कार्यों पर पडऩा निश्चित है। दरअसल, बारिश की समाप्ति के दौरान ही सीमेंट कंपनियां कीमत बढ़ाती हैं, क्योंकि इसके बाद निर्माण कार्यों में तेजी आती है।

सीमेंट उत्पादन राज्य
देश की कुल जरूरत का 20 प्रतिशत उत्पादन छत्तीसगढ़ में होता है। आपको बता दें कि सीमेंट के उत्पादन के मामले में छत्तीसगढ़ देश के प्रमुख राज्यों में शामिल है। देश की कुल जरूरत का लगभग 20 प्रतिशत सीमेंट का उत्पादन यहां होता है। यहां सीमेंट कंपनियों के 14 प्लांट संचालित हैं, जिनकी वार्षिक उत्पादन क्षमता लगभग 260 लाख टन है।

आंध्र प्रदेश देशभर में सबसे बड़ा सीमेंट उत्पादक राज्य है। राजस्थान दूसरा, कर्नाटक तीसरा, मध्य प्रदेश चौथा सबसे ज्यादा सीमेंट उत्पादक राज्य है।
घट सकते हैं सरिया के दाम

वर्तमान में खुले बाजार में सरिया 59 हजार रुपये प्रति टन और फैक्ट्रियों में 56 हजार 500 रुपये प्रति टन बिक रहा है। कारोबारियों का कहना है कि आने वाले दिनों में सरिया की कीमतों में और गिरावट आ सकती है। अभी बाजार में मांग कमजोर होने के साथ ही लौह अयस्क की कीमतों में भी गिरावट है। इसका असर ही बाजार में देखने को मिलेगा। बता दें कि बीते अप्रैल माह में सरिया 64 हजार रुपये प्रति टन पहुंच गया था।

भारत से मोबाइल फोन निर्यात 45,000 करोड़ रुपये के पार, ये कंपनी सबसे सबसे आगे

नई दिल्ली
‘मेक इन इंडिया’ पहल को बढ़ावा देते हुए, भारत ने चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-अगस्त की अवधि के बीच 5.5 बिलियन डॉलर (45,000 करोड़ रुपये से अधिक) के मोबाइल फोन निर्यात किए। वाणिज्य विभाग और इंडिया सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन के अनुमान के अनुसार, अप्रैल-अगस्त की अवधि में 5.5 अरब डॉलर के मोबाइल फोन निर्यात हुए, जबकि वित्त वर्ष 22-23 की समान अवधि में 3 अरब डॉलर का निर्यात हुआ था।

उद्योग सूत्रों के अनुसार अप्रैल-अगस्त की अवधि में भारत निर्मित फोन निर्यात में एप्पल सबसे आगे रहा और पहली बार कुल अनुमानित आंकड़े के 50 प्रतिशत से अधिक को पार कर सैमसंग दूसरे स्थान पर रहा। सूत्रों ने बताया कि जून तिमाही में, एप्पल ने देश के कुल 12 मिलियन स्मार्टफोन शिपमेंट में से लगभग 50 प्रतिशत निर्यात किया, जबकि सैमसंग ने 45 प्रतिशत निर्यात किया।

यह पहली बार है जब एप्पल ने देश से स्मार्टफोन निर्यात मात्रा में अपने दक्षिण कोरियाई समकक्ष सैमसंग को पीछे छोड़ दिया है, क्योंकि इसमें आईफोन 15 सीरीज की मजबूत बिक्री और मांग देखी गई जो पिछले साल की तुलना में 100 प्रतिशत (या 2 गुना) से अधिक थी। भारत चालू वित्त वर्ष में मोबाइल फोन निर्यात में 1,20,000 करोड़ रुपये को पार करने के लिए तैयार है, जिसमें एप्पल वित्त वर्ष 24 में 50 प्रतिशत से अधिक के साथ बाजार में अग्रणी रहेगा।

नवीनतम आंकड़ों के अनुसार घरेलू विनिर्माण से प्रेरित, एप्पल आईफोन इस साल एंड्रॉइड-प्रभुत्व वाले स्मार्टफोन बाजार में 7 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी हासिल करने के लिए भी तैयार है। देश में इस साल की पहली छमाही में एप्पल आईफोन शिपमेंट में 68 प्रतिशत (साल-दर-साल) की वृद्धि हुई।

मार्केट रिसर्च फर्म साइबरमीडिया रिसर्च (सीएमआर) के अनुसार, पहली छमाही में एप्पल ने भारतीय स्मार्टफोन बाजार में 6 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी हासिल की और 63 प्रतिशत की मजबूत बाजार हिस्सेदारी के साथ सुपर-प्रीमियम स्मार्टफोन सेगमेंट (50,000 रुपये से 100,000 रुपये के बीच) पर अपना दबदबा बनाया।

पहली बार एप्पल ने अपनी वैश्विक बिक्री के पहले दिन भारत निर्मित आईफोन 15 और 15 प्लेस बेचे, साथ ही उन इकाइयों को कुछ अन्य बाजारों में भी निर्यात किया। ऐसा अनुमान है कि लॉन्च तिमाही में आईफोन 15 की शिपमेंट, जो भारत में बड़े पैमाने पर त्योहारी सीजन की शुरुआत करती है, ‘मेक इन इंडिया’ पहल में वृद्धि के कारण लगभग 65 प्रतिशत रहेगी।

डीजीजीआई ने आईसीआईसीआई लोम्बार्ड को 1,728 करोड़ रुपये का जीएसटी 'डिमांड नोटिस' भेजा

नई दिल्ली
माल एवं सेवा कर (जीएसटी) की जांच एजेंसी डीजीजीआई ने जुलाई 2017 से मार्च 2022 के बीच कुछ आपूर्ति में कर का भुगतान नहीं करने पर आईसीआईसीआई लोम्बार्ड जनरल इंश्योरेंस को 1,728 करोड़ रुपये का 'डिमांड नोटिस' भेजा है।

आईसीआईसीआई लोम्बार्ड ने शेयर बाजार को दी जानकारी में बताया कि माल एवं सेवा कर आसूचना महानिदेशालय (डीजीजीआई) की पुणे इकाई ने 17,28,86,10,803 रुपये के 'टैक्स डिमांड' का आरोप लगाते हुए 27 सितंबर को उसे कारण बताओ सह 'डिमांड नोटिस' जारी किया।

कंपनी ने कहा कि यह सह-बीमा लेनदेन के मामले में अनुयायी के रूप में स्वीकार किए गए सह-बीमा प्रीमियम पर जीएसटी का भुगतान न करने और पुनर्बीमा प्रीमियम पर स्वीकार किए गए पुनर्बीमा कमीशन पर जीएसटी का भुगतान न करने से संबंधित है। यह जुलाई 2017 से मार्च 2022 के बीच विभिन्न भारतीय तथा विदेशी पुनर्बीमा कंपनियों से जुड़ा है।

आईसीआईसीआई लोम्बार्ड ने कहा कि नोटिस उद्योगिक मुद्दों से संबंधित है और कंपनी उक्त नोटिस पर उचित जवाब दाखिल करेगी।

 

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