दिल्‍ली में अफगान दूतावास का नियंत्रण अब भारत के हाथों में, टेंशन में पाकिस्‍तान?

काबुल/इस्‍लामाबाद
नई दिल्‍ली स्थित अफगानिस्‍तान के दूतावास ने काम करना बंद कर दिया है। अफगान दूतावास ने एक बयान जारी करके कहा कि वह कर्मचारियों और संसाधनों की वजह से देश के लोगों की सेवा नहीं कर पाएगा। भारत अब इस अफगान दूतावास का नियंत्रण अपने हाथ में ले लेगा। अफगान दूतावास ने यह ऐलान ऐसे समय पर किया है जब तालिबान के अफगानिस्‍तान के ऊपर कब्‍जा करने के 2 साल पूरे हो गए हैं। भारत ने अभी तक तालिबान की सरकार को मान्‍यता नहीं दिया है। अफगान दूतावास पर अब तक अशरफ गनी सरकार के समय तैनात रहे राजनयिकों का ही कब्‍जा था। भारत ने उन्‍हें काम करने की पूरी आजादी दी थी। अब भारत में अफगान दूतावास बंद हो गया है जिससे पाकिस्‍तान की टेंशन बढ़ गई है। आइए समझते हैं पूरा मामला

अफगानिस्‍तान में तालिबान राज आने के बाद पाकिस्‍तान, चीन समेत कई देशों ने तालिबानी राजनयिकों को अफगान दूतावासों में तैनात किए जाने को मंजूरी दे दी। भारत ने इससे अब तक परहेज किया था। पिछले दिनों अफगान दूतावास में सत्‍ता को लेकर संघर्ष शुरू हो गया था। तालिबान के नियुक्‍त किए गए एक प्रभारी राजनयिक कादिर शाह ने वर्तमान राजदूत मामूंदजय को हटाने की कोशिश की थी। बाद में दूतावास ने एक बयान जारी करके कहा कि उसके नेतृत्‍व में कोई बदलाव नहीं हुआ है। कादिर ने भारतीय विदेश मंत्रालय को पत्र लिखकर अपनी दावेदारी का दावा भी किया था।

अफगान दूतावास ने भारत पर लगाए आरोप

अब अफगान दूतावास ने अपने ताजा बयान में दावा किया कि उनके कर्मचारियों में आंतरिक मतभेद चल रहा था। यह भी कहा कि इस संकट का इस्‍तेमाल राजनयिक किसी तीसरे देश में शरण हासिल करने के लिए कर रहे हैं। अफगान दूतावास ने अपने बयान में भारत पर आरोप लगाया कि उसने समर्थन देना बंद कर दिया है। उसने दावा किया कि इसकी वजह से अफगान दूतावास के कर्मचारी काम नहीं कर पा रहे हैं। भारत ने अब तक अफगान दूतावास के आरोप पर जवाब नहीं दिया है। उधर, पाकिस्‍तान में अफगान दूतावास के बंद होने को भारत और तालिबान के बीच बढ़ती दोस्‍ती से जोड़कर देखा जा रहा है।

पाकिस्‍तानी विश्‍लेषक कामरान युसूफ का कहना है कि अफगानिस्‍तान में तालिबान का राजा आया था, तब पाकिस्‍तान ने इसे अपनी भारत के खिलाफ बड़ी जीत माना था। उन्‍होंने कहा कि अब दो सालों में भारत ने तालिबान के साथ दोस्‍ती को मजबूत किया है, वहीं पाकिस्‍तान और तालिबान के बीच जंग जैसे हालात हैं। भारत की मदद तालिबान के संस्‍थापक मुल्‍ला उमर के बेटे मुल्‍ला याकूब और तालिबान के विदेश उपमंत्री शेर मोहम्‍मद मदद कर रहे हैं। भारत ने अपने दूतावास में टेक्निकल मिशन को फिर से खोल दिया है। इसके लिए तालिबान ने खुद ही भारत को बुलाया। तालिबान को इस पर भी कोई दिक्‍कत नहीं है कि भारत अपने विकास वाले प्रॉजेक्‍ट को फिर से शुरू करे।

तालिबान और भारत की दोस्‍ती से पाकिस्‍तान परेशान

कामरान दावा करते हैं कि आने वाले दिनों में भारत इस दूतावास को तालिबान के राजनयिकों को सौंप देगा। उन्‍होंने कहा कि भारत और तालिबान के बीच रिश्‍ते अब निर्णायक मोड़ पर आ गए हैं। उन्‍होंने कहा कि एक तरफ तालिबान और पाकिस्‍तान के बीच हालात बहुत ही खराब हैं। चित्राल में तो तालिबान के समर्थन वाले टीटीपी ने 300 की संख्‍या में पाकिस्‍तानी इलाके पर धावा बोला था। उन्‍होंने कहा कि तालिबान की वजह से पाकिस्‍तान दुनिया में बदनाम हुआ और अब वे भारत के साथ खामोशी से दोस्‍ती बढ़ा रहे हैं। उन्‍होंने कहा कि पाकिस्‍तानी रक्षा अधिकारियों का मानना है कि तालिबानी भारत के साथ दोस्‍ती करके गेम खेल रहे हैं ताकि पाकिस्‍तान पर दबाव बढ़ाया जाय। मुल्‍ला याकूब भारत के साथ दोस्‍ती को मजबूत करना चाहता है। इसी वजह से ये घटनाक्रम हो रहा है।

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