नांदेड़ के सरकारी अस्पताल में नहीं रुकी मौत! 7 और मरीजों ने तोड़ा दम, जांच की मांग

नांदेड़

महाराष्ट्र के नांदेड़ के सरकारी अस्पताल में मौत का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है। बीती देर रात सात और मरीजों की मौत हो गई, जिनमें से चार बच्चे थे। अब 48 घंटे में मरीजों की मौत का आंकड़ा 31 पहुंच चुका है। बीते रोज इसी अस्पताल में 24 मरीजों ने दम तोड़ा था। सरकारी अस्पताल में मरीजों की मौत पर विपक्ष महाराष्ट्र की एकनाथ सरकार पर हमलावर है। शिंदे सरकार की आलोचना करते हुए, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार ने इसे "सरकारी तंत्र की विफलता" कहा। आरोप लगाया कि दो महीने पहले भी ऐसी घटना हुई थी, लेकिन शिंदे सरकार ने सबक नहीं लिया।

महाराष्ट्र के नांदेड़ सरकारी अस्पताल में मरीजों की मौत थमने का नाम नहीं ले रही है। सोमवार को अस्पताल में तब हड़कंप मच गया, जब 24 घंटे में 24 मरीजों की मौत हो गई थी। इसमें 12 बच्चे भी शामिल थे। अब बीती रात 7 और मरीजों की मौत की बात सामने आ रही है। बताया जा रहा है कि मरने वाले 7 मरीजों में से 4 बच्चे थे।

दवाई की कमी मौत की वजह!
इस मामले में अस्पताल के वरिष्ठ डॉक्टर डॉ. श्यामराव वाकोड़े ने कहा था, "पिछले 24 घंटों में लगभग 12 बच्चों की मौत हो गई…12 वयस्कों की भी विभिन्न बीमारियों (सांप के काटने, आर्सेनिक और फास्फोरस विषाक्तता आदि) के कारण मृत्यु हो गई। विभिन्न कर्मचारियों के स्थानांतरण के कारण, हमारे लिए कुछ कठिनाई हुई…हमे हाफकिन इंस्टीट्यूट से दवाएं खरीदनी थीं लेकिन ऐसा नहीं हुआ।"

महाराष्ट्र के चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान निदेशक डॉ. दिलीप म्हैसेकर ने पीटीआई-भाषा को बताया कि छत्रपति संभाजीनगर (पूर्व में औरंगाबाद) जिले से तीन सदस्यीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया है, जिसे मंगलवार तक रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है।

हमलावर हुआ विपक्ष
महाराष्ट्र के सरकारी अस्पताल में मरीजों की मौतों की बढ़ती संख्या पर विपक्ष हमलावर है। X पर एक पोस्ट में, एनसीपी चीफ शरद पवार ने कहा, “अभी दो महीने पहले, एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना हुई थी जहां ठाणे नगर निगम के कलवा अस्पताल में एक ही रात में 18 लोगों की मौत हो गई थी। लेकिन इस घटना को गंभीरता से न लेने के कारण नांदेड़ के सरकारी अस्पताल में ऐसी ही गंभीर घटना दोहराई गई।”

उधर, कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस घटना पर अपनी 'चुप्पी' तोड़ने को कहा। पार्टी ने जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई और प्रभावित परिवारों को मुआवजा देने की मांग की।

 

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