आरबीआई की एमपीसी बैठक 4 अक्टूबर से, रेपो रेट यथावत रहने की संभावना

नई दिल्ली

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिवसीय समीक्षा बैठक चार अक्टूबर से शुरू होगी। इस बैठक के नतीजों का ऐलान छह अक्टूबर को किया जाएगा। विशेषज्ञों को इस बार भी रेपो रेट 6.5 फीसदी पर यथावत रखे जाने की संभावना है।

रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में होने वाली छह सदस्यीय एमपीसी की तीन दिवसीय बैठक चार अक्टूबर से शुरू होकर छह अक्टूबर तक चलेगी। इस बैठक के नतीजों की घोषणा छह अक्टूबर को होगी। जानकारों का मानना है कि रिजर्व बैंक इस हफ्ते होने वाली एमपीसी बैठक में भी प्रमुख नीतिगत दर यानी रेपो रेट को 6.5 फीसदी पर यथावत रख सकता है। अगर ऐसा होता है तो खुदरा और कॉरपोरेट कर्जदारों के लिए ब्याज दरें स्थिर रह सकती हैं।

रिजर्व बैंक ने रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान महंगाई पर काबू पाने के लिए मई, 2002 से लेकर फरवरी, 2023 के बीच रेपो रेट में 2.5 फीसदी की बढ़ोतरी की थी, जो बढ़कर 6.5 फीसदी हो गया है। इसके बाद आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष 2023-24 में लगातार पिछली तीन द्विमासिक एमपीसी बैठकों में रेपो रेट को स्थिर रखा है।

सेबी ने सूचीबद्ध कंपनियों के लिए अफवाह का खंडन या पुष्टि करने की समयसीमा बढ़ाई

नई दिल्ली

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने सूचीबद्ध कंपनियों के लिए बाजार अफवाहों की अनिवार्य रूप से पुष्टि या उनका खंडन करने की समयसीमा बढ़ा दी है।सेबी के ताजा परिपत्र के अनुसार, बाजार पूंजीकरण के लिहाज से शीर्ष 100 सूचीबद्ध कंपनियों के लिए यह समयसीमा बढ़ाकर एक फरवरी, 2024 तक कर दी गई है। पहले यह समयसीमा एक अक्टूबर, 2023 थी।

इसी तरह बाजार पूंजीकरण के लिहाज से शीर्ष 250 कंपनियों के लिए यह समयसीमा अब एक अगस्त, 2024 से लागू होगी। पहले इसे एक अप्रैल, 2024 से लागू किया जाना था।

इस नियम का मकसद सूचीबद्ध इकाइयों में कामकाज के संचालन को मजबूत करना है।

सेबी ने कहा, ''बाजार पूंजीकरण के लिहाज से शीर्ष 100 सूचीबद्ध कंपनियों के लिए सूचीबद्धता दायित्व और खुलासा जरूरत (एलओडीआर) नियमों का कार्यान्वयन अब एक फरवरी, 2024 से होगा। वहीं बाजार पूंजीकरण के लिहाज से शीर्ष 250 कंपनियों के लिए यह नियम एक अगस्त, 2024 से लागू होगा।''

इससे पहले जून में सेबी ने नियमों को अधिसूचित करते हुए बाजार पूंजीकरण के आधार पर इन सूचीबद्ध कंपनियों को मुख्यधारा के मीडिया में बाजार अफवाह का खंडन या पुष्टि करने को कहा था।

खुलासा जरूरतों के अनुसार, इन कंपनियों को निवेशक वर्ग के बीच चल रही किसी सूचना का 24 घंटे के अंदर मुख्यधारा के मीडिया के जरिये खंडन या पुष्टि करनी थी।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button