सबसे बड़ी चोरी के मास्टरमाइंड को तीन राज्यों की पुलिस ने पकड़ा!

नई दिल्ली.

दिल्ली की सबसे बड़ी चोरी के मास्टरमाइंड लोकेश श्रीवास की गिरफ्तारी का श्रेय लेने के लिए तीन राज्यों की पुलिस कई घंटों तक आमने-सामने रहीं। दिल्ली, आंध्र प्रदेश व छत्तीसगढ़ पुलिस तमाम दावे करती रहीं। हालांकि श्रेय लेने की इस होड में आंध्रप्रदेश पुलिस वापस लौट गई। आंध्रप्रदेश पुलिस ने सबसे पहले छत्तीसगढ़ पहुंचकर लोकेश श्रीवास के साथी लोकेश राव को गिरफ्तार किया था। इसके बाद शिवा व मास्टर माइंड लोकेश गिरफ्तार किया गया। छत्तीसगढ़ पुलिस ने श्रेय लेने की होड़ में जल्दी से उसकी गिरफ्तारी कागजों में दर्ज कर दी।

दिल्ली पुलिस को दी सीडीआर
छत्तीसगढ़ पुलिस दावा कर रही है कि उसने लोकेश श्रीवास व शिवा चंद्रवंशी को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तारी का श्रेय लेने के लिए छत्तीसगढ़ पुलिस ने आनन-फानन में मीडिया को बुला लिया। छत्तीसगढ़ पुलिस बताना चाहती थी कि लोकेश को उन्होंने गिरफ्तार किया है। हालांकि बाद में दिल्ली पुलिस अधिकारियों ने छत्तीसगढ़ पुलिस से बात की, तब जाकर छत्तीसगढ़ पुलिस ने मीडिया को बताया कि लोकेश को पकडऩे के लिए दिल्ली पुलिस व छत्तीसगढ़ पुलिस ने संयुक्त रूप से अभियान चलाया था। छत्तीसगढ़ पुलिस ने ये भी दावा कि उन्होंने ही दिल्ली पुलिस को आरोपी के बारे में जानकारी दी। इसके अलावा दिल्ली पुलिस ने ही आरोपी के मोबाइल की सीडीआर दी थी। दिल्ली पुलिस को उसकी लोकेशन 24 सितंबर को उमराव सिंह शोरूम के पास मिल गई थी।

सीडीआर से शातिर को खुद पकड़ा है-दिल्ली पुलिस
दिल्ली पुलिस के कुछ अधिकारियों ने दावा किया है वह सीडीआर से की मदद से लोकेश तक पहुंची। पुलिस को सीडीआर के दौरान छत्तीसगढ़ के कुछ नंबर भोगल में चले हुए मिल गए। इनमें एक नंबर के आधार पर पुलिस कश्मीरी गेट बस अड्डे तक पहुंच गई। यहां पर लोकेश की टिकट बुकिंग से उसका दूसरा नंबर मिल गया। इसके बाद दिल्ली पुलिस के दो इंस्पेक्टर विष्णु दत्त शर्मा व दिनेश के हवाई रास्ते से छत्तीसगढ़ भेजा गया।
यहां पर इन दोनों ने छत्तीसगढ़ पुलिस की मदद ली। जब एक राज्य की पुलिस दूसरे राज्यों में जाती है तो स्थानीय पुलिस की मदद ली जाती है। दिल्ली पुलिस अधिकारियों ने लोकेश घर घेराबंदी की। लोकेश अपने घर की तरफ आया तो वह इन इंस्पेक्टर को दिख गया। इसके बाद करीब दो किलोमीटर पीछा कर उसे पकड़ लिया।

डंप डाटा की मदद से हुई शातिर चोर की पहचान
सबसे बड़ी चोरी के मामले में आरोपी लोकेश श्रीवास तक पहुंचने में टेक्निकल सर्विलांस ने पुलिस की भरपूर मदद की। पुलिस ने चोरी वाली रात को घटना स्थल के पास मौजूद मोबाइल टॉवर्स का डंप डाटा उठाया। इसकी मदद से पुलिस को दो संदिग्ध नंबर मिले। उनकी पड़ताल करते हुए पुलिस ने आरोपी लोकेश श्रीवास की पहचान कर ली। संदिग्ध नंबर भोगल में बंद होने के बाद एक बार आईएसबीटी कश्मीरी गेट में खुले थे। इसके बाद मध्य प्रदेश के सागर में उसकी लोकेशन मिली। बाद में पुलिस उसका पीछा करते हुए छत्तीसगढ़ तक पहुंच गई। वहां पर लोकल पुलिस की मदद से आरोपी लोकेश की पहचान कर ली गई और संयुक्त कार्रवाई में उसे दबोच लिया गया। मामले की जांच कर रहे एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि वारदात का खुलासा होने के बाद पुलिस ने उमराव सिंह ज्वेलर्स के आसपास लगे मोबाइल टॉवर्स का डंप डाटा कलेक्ट किया। छानबीन के दौरान पुलिस को करीब 8500 मोबाइल नंबर मिले। एक विशेष सॉफ्टवेयर की मदद से कुछ संदिग्ध नंबरों को अलग कर उनकी पहचान की गई। इसके बाद उन पर नजर गड़ाई गई। छानबीन के दौरान नंबर 10 और 17 सितंबर को भी एरिया में एक्टिव पाए गए। पुलिस ने इन नंबरों की लोकेशन ली तो पहले इनकी लोकेशन छत्तीसगढ़ की थी। बाद में 10 और 17 को यह दिल्ली मिली। घटना वाले दिन भोगल में इन नंबरों को बंद कर दिया गया। जांच में पता चला कि 25 सितंबर की रात को नंबर एक बार फिर आईएसबीटी कश्मीरी गेट पर चालू हुआ था। बाद में यह मध्य प्रदेश के सागर और छत्तीसगढ़ में चालू हुआ। पुलिस ने नंबर चालू होने के समय की सीसीटीवी फुटेज की पड़ताल की तो वह भोगल से मिली फुटेज से मैच हो गई।

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