संजय राउत के लिए फिर नई मुसीबत, मुंबई कोविड सेंटर स्कैम में करीबी का नाम

मुंबई

मुंबई के कोविड सेंटर स्कैम में संजय राउत के करीबी का नाम आ रहा है। ईडी ने अपनी चार्जशीट में इसका जिक्र किया है। इसके मुताबिक संजय राउत शिवसेना (यूबीटी) के कथित करीबी सहयोगी कारोबारी सुजीत पाटकर ने मुंबई में जंबो कोविड-19 केंद्र चलाने के लिए अपनी पार्टनर कंपनी को एक कांट्रैक्ट में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। ईडी के अनुसार, पाटकर राजनीतिक नजदीकी के चलते इन केंद्रों के लिए निविदा प्रक्रिया के बारे में पूर्व जानकारी जुटाने में कामयाब रहे। इसके बाद उनकी अपराध की कुल कमाई 32.44 करोड़ रुपए में से 2.81 करोड़ रुपए उनके पर्सनल बैंक अकाउंट में ट्रांसफर कर दिए गए थे।

दो हो चुके हैं गिरफ्तार
सुजीत पाटकर के अलावा चार्जशीट में लाइफलाइन हॉस्पिटल मैनेजमेंट सर्विसेज, उनके तीन सहयोगियों और दहिसर जंबो कोविड सेंटर डीन डॉक्टर किशोर बिसूरे के भी नाम हैं। मामले में पाटकर और बिसूरे को पहले ही ईडी द्वारा गिरफ्तार किया जा चुका है और दोनों ज्यूडिशियल कस्टडी में हैं। ईडी की चार्जशीट के अनुसार, लाइफलाइन हॉस्पिटल मैनेजमेंट सर्विसेज के प्रमुख भागीदारों में से एक पाटकर ने फर्म के गठन के समय केवल 12,500 रुपए का निवेश किया था। आरोप पत्र में कहा गया है कि पाटकर आपराधिक गतिविधियों में लिप्त थे। उन्होंने अन्य आरोपी साझेदारों और बीएमसी के अधिकारियों के साथ मिलकर साजिश रची और कांट्रैक्ट हासिल करने में सफल रहे।

संपर्क का उठाया फायदा
आरोप पत्र में कहा गया है कि वह राजनीतिक करीब चलते निविदा प्रक्रिया के बारे में पूर्व जानकारी इकट्ठा करने में कामयाब रहा। इसके बाद उन्होंने अधिकारियों से निविदा हासिल करने के लिए फर्म की स्थापना की। ईडी की चार्जशीट के मुताबिक पाटकर बीएमसी अधिकारियों के साथ संपर्क में रहते थे। उन्होंने दहिसर और वर्ली में जंबो कोविड सुविधा के लिए जनशक्ति आपूर्ति के अनुबंध को लाइफलाइन मैनेजमेंट सर्विसेज को आवंटित करने की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। ईडी की चार्जशीट में आगे कहा गया है कि आरोपी भागीदारों ने अनुचित व्यक्तिगत वित्तीय लाभ के लिए, दहिसर और वर्ली जंबो कोविड सुविधाओं में कम चिकित्सा कर्मचारी तैनात करने की योजना बनाई।

खतरे में पड़ी थी मरीजों की जान
अपनी योजना के अनुसरण में, उन्होंने उपरोक्त जंबो कोविड केंद्रों में तैनात अपने कर्मचारियों को निर्देश दिए कि वे नागरिक निकाय के मुताबिक जाली उपस्थिति रिकॉर्ड बनाएं। योजना के मुताबिक यहां पर तैनात मेडिकल स्टाफ की संख्या इतनी कम थी कि कोविड मरीजों की जान खतरे में पड़ गई। इसमें दावा किया गया है कि आरोपियों ने दहिसर जंबो कोविड सुविधा के लिए फर्जी और मनगढ़ंत उपस्थिति पत्र और संबंधित रिकॉर्ड प्रस्तुत किए थे। जबकि वर्ली केंद्र के संबंध में, बिना किसी उपस्थिति डेटा और कर्मचारियों के रिकॉर्ड के नगर निकाय को चालान जमा किए गए थे।

 

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